मंत्रालय ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 12 के तहत आठ बाघों के स्थानांतरण को स्वीकृति दी है।
- इस अधिनियम के तहत, अनुसूची-I में शामिल जानवरों के स्थानांतरण के लिए केंद्र सरकार से और किसी अन्य वन्यजीव के लिए राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है।
- यदि सुरक्षा संबंधी कोई मुद्दा या दुर्घटना होती है, तो MoEFCC के पास इस अनुमति को रद्द करने का अधिकार है।
- इस मंजूरी के तहत ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व और पेंच टाइगर रिजर्व से आठ बाघों (तीन नर एवं पांच मादा) को सह्याद्री टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जाएगा।
- इस पहल का उद्देश्य उत्तरी पश्चिमी घाट में बाघों की आबादी को फिर से बसाना है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने पहले ही इस स्थानांतरण को मंजूरी दे दी थी।
स्थानांतरण के लाभ
- पारिस्थितिक संतुलन: इससे कम आबादी वाले रिजर्व में शिकारी-शिकार के संतुलन की पुनर्बहाली होती है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना: अधिक आबादी वाले रिजर्व में मानव-बाघ संघर्ष में कमी आती है।
- भू-परिदृश्यों को फिर से वन्यजीवों से आबाद करना: यह उन क्षेत्रों को पुनर्जीवित करता है, जहां से बाघ कभी विलुप्त हो गए थे।
स्थानांतरण से जुड़ी चिंताएं: स्थानीय समुदायों का विरोध, जहां बाघों का स्थानांतरण किया जा रहा है वहां मौजूदा बाघों के साथ इलाकों को लेकर संघर्ष, शिकार वृद्धि जैसे खराब वन प्रबंधन आदि।
सह्याद्री टाइगर रिजर्व के बारे में
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