राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की सलाह पर, छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्र को भारत के 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया।
मुख्य तथ्यों पर एक नजर
- गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व को अधिसूचित किए जाने के बाद अब छत्तीसगढ़ में 4 टाइगर रिज़र्व हैं। अन्य तीन टाइगर रिजर्व हैं- इंद्रावती टाइगर रिज़र्व, उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व और अचानकमार टाइगर रिज़र्व।
- राज्य सरकार, NTCA की सलाह पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अधीन टाइगर रिजर्व को अधिसूचित करती है।
- यह नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व (आंध्र प्रदेश) और मानस टाइगर रिज़र्व (असम) के बाद तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- एक टाइगर रिज़र्व में शामिल होते हैं:
- कोर/ क्रिटिकल क्षेत्र: वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों या ऐसे अन्य वनवासियों के अधिकारों को प्रभावित किए बिना, इन्हें अक्षुण्ण रखा जाना आवश्यक है।
- बफर/ परिधीय क्षेत्र: टाइगर रिजर्व के इस हैबिटेट क्षेत्र में कम सुरक्षा वाले उपायों की जरूरत पड़ती है। यह मानव-वन्यजीव सह अस्तित्व को बढ़ावा देता है। यह ग्राम सभा के माध्यम से निर्धारित स्थानीय लोगों के अधिकारों को मान्यता देता है।
गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व की अवस्थिति एवं भू-परिदृश्य:
- भूगोल: यह छोटा नागपुर पठार और आंशिक रूप से बघेलखंड पठार पर स्थित है।
- जीव: तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार, भेड़िया, भालू आदि।
- नदियां: हसदेव गोपद, बरंगा आदि।
- संरक्षण के लिए लैंडस्केप दृष्टिकोण अपनाया गया है: यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2017-31) में परिकल्पित है। यह टाइगर रिज़र्व संजय दुबरी वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश) से सटा हुआ है। साथ ही, यह बांधवगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश) और पलामू वन्यजीव अभयारण्य (झारखंड) के साथ भी जुड़ा हुआ है।
टाइगर रिज़र्व के लिए लैंडस्केप दृष्टिकोण के बारे में:
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