सुप्रीम कोर्ट ने उन आवासीय परियोजनाओं को समाप्त होने से बचाने के लिए कई सुझाव दिए, जो वित्तीय रूप से व्यवहार्य हैं।
- आवास के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार के व्यापक दायरे के अंतर्गत एक मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।
भारत में आवास क्षेत्रक के समक्ष चुनौतियां
- किफायती आवास का घटता हिस्सा: 2018 में आधे से अधिक नई परियोजनाएं किफायती घरों के थे, लेकिन अब इनकी हिस्सेदारी केवल 17% रह गई है।
- रुकी हुई परियोजनाएं और प्रणालीगत मुद्दे: रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा वित्तीय कुप्रबंधन के कारण 44 शहरों में 5 लाख से अधिक घर अभी तक आवंटित नहीं हुए हैं।
- भूमि की ऊंची कीमत: भारत की कुल जमीन का केवल 0.2% हिस्सा ही दस बड़े शहरों में है, जबकि वहां जमीन बहुत महंगी है।
- रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (RERA) नियमों में एकरूपता का अभाव: राज्य-विशेष नियमों के कारण चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई मुख्य सिफारिशें
- केंद्र सरकार राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (NARCL) के तहत एक पुनरुद्धार कोष की स्थापना कर सकती है। साथ ही, किफायती एवं मध्यम आय वर्गीय आवास हेतु विशेष विंडो (SWAMIH/ स्वामी) कोष का विस्तार करने पर विचार कर सकती है।
- रुके हुए प्रोजेक्ट्स के लिए NARCL के समान एक कॉर्पोरेट निकाय का गठन किया जाना चाहिए।
- राज्यों में RERA (रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम) नियमों में एकरूपता लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का निर्देश भी दिया गया।