यह अध्ययन IIT बॉम्बे, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (कोलकाता) और राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (इसरो), हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने किया है। इस अध्ययन से यह तथ्य उजागर हुआ है कि सुंदरवन चरम मौसम और प्रदूषण को सहने में सक्षम है, लेकिन उसकी स्वयं की पुनर्बहाली करने की क्षमताओं की भी सीमाएं हैं।
अध्ययन में सुंदरवन के मैंग्रोव से संबंधित मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- चरम मौसमी दशाओं को सहने में सक्षम: मैंग्रोव ने चक्रवातों और तूफानों जैसी चरम मौसमी घटनाओं को काफी हद तक सहने की क्षमता को प्रदर्शित किया है तथा वे आपदाओं से प्रभावित होने के 1-2 सप्ताह बाद ही पुनः सामान्य हो जाते हैं।
- पोषक तत्व स्थिरता: मानवजनित जल प्रदूषण के कारण पोषक तत्व संरचना में गिरावट के बावजूद मैंग्रोव की उत्पादकता स्थिर बनी रहती है। यह संकट के दौरान भी मैंग्रोव की सुचारू कार्यप्रणाली की क्षमता को दर्शाता है।
- बेहतर लिंक स्ट्रेंथ और मेमोरी: मैंग्रोव जल-मौसम विज्ञान संबंधी घटकों (जैसे- वर्षा, तापमान व वायु गति) के साथ लिंक स्ट्रेंथ और मेमोरी में वृद्धि करके अपनी उत्पादकता को स्थिर या संतुलित बनाए रखते हैं।
- पादप में मेमोरी का अर्थ चक्रवात जैसी अतीत की प्रतिकूल घटनाओं के प्रति की गई प्रतिक्रियाओं को “याद रखना” और उन्हें भविष्य में उपयोग हेतु संग्रहित करना है।
मैंग्रोव के बारे में
- परिभाषा: मैंग्रोव एक काष्ठीय पादप है, जो समुद्र और भूमि के बीच कुछ समय के लिए ज्वार से जलमग्न रहने वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
- मैंग्रोव प्रजाति की मुख्य विशेषताएं
- मैंग्रोव समुद्र के पास खारे पानी में पनपने वाला एकमात्र पादप है।
- यह उच्च कार्बन घनत्व और उच्च कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन के कारण वैश्विक कार्बन बजट का एक अनिवार्य घटक है।
- इन्हें अक्सर 'ब्लू फॉरेस्ट' या 'वेटलैंड इकोसिस्टम इंजीनियर' कहा जाता है।
- भारत में मैंग्रोव (सुंदरवन के अलावा): भितरकनिका (ओडिशा), पिचावरम वन (तमिलनाडु), चोराओ द्वीप (गोवा), कच्छ की खाड़ी (गुजरात), वेम्बनाड कोल (केरल), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आदि।
सुंदरवन के बारे में
|