कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का बढ़ता उपयोग व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन को बढ़ावा दे रहा है | Current Affairs | Vision IAS
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    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का बढ़ता उपयोग व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन को बढ़ावा दे रहा है

    Posted 26 Nov 2025

    Updated 27 Nov 2025

    1 min read

    हाल ही में, अभिनेता अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन ने एक मुकदमा दायर किया है। इसमें यह आरोप लगाया गया है कि AI-जनरेटेड वीडियो उन्हें मनगढ़ंत (फर्जी) परिदृश्यों में दर्शा रहे हैं। यह उनके व्यक्तित्व अधिकारों (Personality Rights) का उल्लंघन है।

    व्यक्तित्व अधिकार

    • व्यक्तित्व अधिकार नाम, आवाज, हस्ताक्षर, छवियों या जनता द्वारा आसानी से पहचानी जाने वाली किसी अन्य विशेषता को व्यक्त करते हैं, जो किसी सेलिब्रिटी आदि के व्यक्तित्व का प्रतीक हैं। ये अधिकार किसी व्यक्ति की पहचान के वाणिज्यिक उपयोग पर उसके अनन्य नियंत्रण को शामिल करते हैं। 
    • भारत में, व्यक्तित्व अधिकार किसी विशिष्ट कानून द्वारा परिभाषित नहीं हैं, बल्कि उन्हें सामान्य कानून, संविधान के अनुच्छेद 21 (निजता का अधिकार), और विभिन्न बौद्धिक संपदा कानूनों के माध्यम से संरक्षित किया जाता है।
      • सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000, और आईटी मध्यवर्ती दिशा-निर्देश, 2024 प्रतिरूपण या छद्मरूपण (impersonation) व डीपफेक से संबंधित हैं।
      • कॉपीराइट अधिनियम, 1957 कलाकारों को अनन्य अधिकार प्रदान करता है। इससे वे यह नियंत्रित कर सकते हैं कि उनके प्रदर्शन को कैसे पुन: प्रस्तुत किया जाएगा। साथ ही, वे किसी भी विकृति या दुरुपयोग पर आपत्ति उठा सकते हैं।
      • ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 व्यक्तियों, विशेष रूप से सेलिब्रिटीज़ को उनके व्यक्तित्व की विशिष्ट विशेषताओं, जैसे नाम, हस्ताक्षर, या यहां तक कि कैचफ्रैज़ (जुमला, वाक्यांश, या तकिया कलाम) को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति देता है।
      • उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में AI संबंधी उल्लंघनों को निजता के अधिकार या बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन के रूप में रेखांकित किया है।
        • अनिल कपूर मामले (2023) में, न्यायालय ने अनिल कपूर की पहचान के डिजिटल रूप से दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं अरिजीत सिंह मामले (2024) में, न्यायालय ने अरिजीत सिंह की आवाज़ को AI प्रतिकृति (replication) से संरक्षित किया था।

    AI और व्यक्तित्व अधिकार

    • सामाजिक चिंताएं: डीपफेक व AI-जनरेटेड कंटेंट (जो चेहरे या आवाज़ को बदल देता है) गलत सूचना फैलाते हैं; जबरन वसूली को सक्षम बनाते हैं, और लोक विश्वास को कम करते हैं।
    • मानव पहचान का वस्तुकरण: AI विज्ञापनों, फिल्मों और प्रचार के लिए सेलिब्रिटीज़ का सदृश रूप बना सकता है। साथ ही. यह मरणोपरांत व्यक्तित्व अधिकारों के बारे में सवाल उत्पन्न कर सकता है।
    • डेटा का दुरुपयोग: AI स्क्रैपिंग मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए अक्सर बिना अनुमति के व्यक्तिगत तस्वीरें, सोशल मीडिया डेटा, और डिजिटल  फुटप्रिंट एकत्र करती है।
    • दायित्व संबंधी मुद्दे: डीपफेक के रचनाकारों और वितरकों को जवाबदेह ठहराने में समस्याएं आती हैं। ऐसा इस कारण, क्योंकि इनकी पहचान प्रकट नहीं होती है। 
    • Tags :
    • Article 21
    • Personality Rights
    • Aishwarya Rai Bachchan
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