यह रिपोर्ट प्रत्येक पांच वर्षों में जारी की जाती है। इसे इंडोनेशिया के बाली में ग्लोबल फॉरेस्ट ऑब्जर्वेशन इनिशिएटिव (GFOI) प्लेनरी के दौरान प्रकाशित की किया गया।
- GFOI, ग्रुप ऑन अर्थ ऑब्ज़र्वेशन्स (GEO) का एक प्रमुख कार्यक्रम है। GEO एक ऐसा नेटवर्क है, जिसमें सरकारें, शैक्षणिक संस्थान, संगठन, नागरिक समाज और निजी क्षेत्रक शामिल हैं। इसका उद्देश्य अर्थ इंटेलिजेंस क्षमता का उपयोग करना है।
- भारत GEO का सदस्य है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वन क्षेत्र का विस्तार: वन 4.14 बिलियन हेक्टेयर या वैश्विक भू-क्षेत्र के 32% भाग पर फैले हुए हैं।
- विश्व के लगभग आधे वन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हैं। इसके बाद बोरियल, समशीतोष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का स्थान आता है।
- यूरोप में सर्वाधिक वन क्षेत्र है, जो विश्व के कुल वन क्षेत्र का 25% है।
- भारत में वन विस्तार: वैश्विक स्तर पर कुल वन क्षेत्र के मामले में भारत एक स्थान ऊपर आकार 9वें स्थान पर पहुंच गया है। इस प्रकार भारत में वैश्विक वन क्षेत्र का 2% मौजूद है।
- रबड़ बागान के मामले में भारत 5वें स्थान पर है।
- वनों की कटाई और विस्तार: वर्ष 2015-2025 के दौरान वनों की कटाई धीमी होकर 10.9 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष हो गई, जो 1990-2000 में 17.6 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष थी।
- प्राकृतिक पुनर्बहाली: विश्व के 90% से अधिक वन प्राकृतिक रूप से पुनर्बहाल हो रहे हैं।
- कार्बन स्टॉक: वनों में मौजूद कार्बन स्टॉक में वृद्धि हुई है, जो 714 गीगाटन तक पहुंच गया है। इसमें सर्वाधिक कार्बन स्टॉक मृदा में मौजूद है, इसके बाद जीवित बायोमास, सूखी पत्तियां आदि, मृत वृक्षों की लकड़ी इत्यादि का स्थान आता है।
- मुख्य समस्या: उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मौजूद वनों के समक्ष आग लगना एक मुख्य समस्या है, जबकि कीट, रोग और खराब मौसम मुख्य रूप से शीतोष्ण एवं बोरियल क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं।