इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (IT नियम, 2021) में संशोधन प्रस्तावित किए हैं। MeitY द्वारा यह प्रस्ताव सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT अधिनियम) के तहत प्राप्त शक्ति का उपयोग करके किया गया है।
प्रस्तावित किए गए प्रमुख संशोधनों पर एक नजर:
- कृत्रिम रूप से जनरेटेड कंटेंट (जिसे आमतौर पर डीपफेक या AI-जनरेटेड कंटेंट के रूप में जाना जाता है) को परिभाषित करना: यह वह कंटेंट या सूचना होती है, जिसे कंप्यूटर का उपयोग करके कृत्रिम रूप से या एल्गोरिदम द्वारा निर्मित, सृजित, मॉडिफाइड या अलटर्ड किया जाता है, ताकि वह दिखने में वास्तविक या सत्य प्रतीत हो।
- अनिवार्य घोषणा: कोई भी व्यक्ति यदि AI-जनरेटेड कंटेंट या मॉडिफाइड कंटेंट अपलोड करता है, तो उसे यह स्पष्ट रूप से बताना होगा कि यह कंटेंट AI-जनरेटेड है।
- प्रमुख सोशल मीडिया मध्यवर्तियों (SSMIs) के लिए दायित्व का विस्तार: उदाहरण के लिए- अपलोड किया गया कंटेंट कृत्रिम रूप से जनरेटेड है या नहीं, इस पर उपयोगकर्ता से डिक्लेरेशन मांगना।
प्रस्तावित संशोधनों की आवश्यकता क्यों है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जोखिम: डीपफेक का उपयोग राष्ट्र-विरोधी ताकतों द्वारा दुष्प्रचार फैलाने, आतंकवादी समूहों में लोगों को जोड़ने आदि के लिए किया जा सकता है।
- गलत सूचना का प्रसार: उदाहरण के लिए- इसका उपयोग झूठी धारणाओं को फैलाने, जनमत को प्रभावित करने और चुनावों पर असर डालने के लिए किया जाता है।
- महिलाओं पर प्रभाव: उदाहरण के लिए- डीपफेक के जरिए अक्सर महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप गैर-सहमति वाले अश्लील कंटेंट या फोटो बनाने और उत्पीड़न जैसी घटनाएं होती हैं।
- प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना: इसके तहत मनगढ़ंत वीडियो या बयानों के माध्यम से व्यक्तियों या संस्थाओं की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
- धोखाधड़ी और छद्मरूपण (Impersonation): यह पहचान की चोरी, वित्तीय घोटाले और सोशल इंजीनियरिंग हमलों को संभव बनाता है। उदाहरण के लिए- डीपफेक फिशिंग आदि।
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