यह रिपोर्ट फॉरेस्ट डिक्लेरेशन असेसमेंट ने जारी की है। इस रिपोर्ट में इस तथ्य को रेखांकित किया गया है कि विश्व 2030 तक वनों की कटाई को शून्य करने के लक्ष्य को हासिल करने से पीछे है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वनों की कटाई की दर: 2024 में 8.1 मिलियन हेक्टेयर वन नष्ट हो गए थे, जो कि 2030 तक वनों की कटाई को रोकने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आवश्यक स्तर से 63% अधिक है।
- वित्तीय प्रवाह में खामियां: इस संबंध में देखें तो हानिकारक सब्सिडी और हरित सब्सिडी के मध्य का अनुपात 200:1 है। यह हानिकारक सब्सिडी की तुलना में हरित सब्सिडी की अत्यंत काम मात्रा को दर्शाता है।
वनों के नष्ट होने के मुख्य कारण
- स्थायी कृषि: इसमें ऑयल पाम, कोको, बागवानी, नट्स, रबड़, मौसमी फसलों और चारागाह की खेती लगभग 86% निर्वनीकरण के लिए जिम्मेदार पाई गई है।
- खनन क्षेत्रक: वैश्विक स्तर पर लगभग 77% खदानें प्रमुख जैव विविधता क्षेत्रों (KBAs) से 50 किमी से भी कम दूरी पर स्थित हैं।
- पर्यावरण संबंधी अपराध: वनों की अवैध कटाई और इमारती लकड़ी की तस्करी से प्रतिवर्ष लगभग 281 बिलियन डॉलर की अवैध आय होती है।
वनों की कटाई को रोकने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बदलावों की आवश्यकता है
- स्वैच्छिक प्रतिबद्धता के लिए अनिवार्य विनियमन: इसमें जवाबदेही, ट्रेसेब्लिटी और अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।
- वनों का मूल्य निर्धारण और बाहरी प्रभावों को समाप्त करना: इसमें वनों की कटाई और निम्नीकरण की वास्तविक हानि का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
- समावेशी निर्णय-निर्माण: इसके तहत देशज लोगों, स्थानीय समुदायों, महिलाओं और नागरिक समाज की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
वनों की पुनर्बहाली के प्रमुख लक्ष्य
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