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उत्तराखंड में पहली बार नैनीताल जिले की 'पर्यटक वहन क्षमता' का आकलन किया जाएगा | Current Affairs | Vision IAS
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उत्तराखंड में पहली बार नैनीताल जिले की 'पर्यटक वहन क्षमता' का आकलन किया जाएगा

Posted 28 Jul 2025

8 min read

इस कदम का उद्देश्य जिले के लोकप्रिय हिल स्टेशंस को अनियंत्रित पर्यटन, बढ़ते वाहन यातायात और जनसंख्या दबाव जैसे कारणों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाना है।

  • इससे पहले, सितंबर 2024 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि नैनीताल जिले को यात्री वहन क्षमता और पर्यावरणीय संवेदनशीलता के आधार पर वर्गीकृत किया जाए।

वहन क्षमता (Carrying Capacity) क्या होती है?

  • यह किसी क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक निश्चित जनसंख्या की ही आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता होती है।
  • यह जैविक (जैसे वनस्पति, हाइड्रोलॉजी) और अजैविक (जैसे भू-भाग, जलवायु) दोनों कारकों पर निर्भर करती है।
  • किसी क्षेत्र की वहन क्षमता का आकलन करने के लिए दो प्रमुख एप्रोच:
    • ग्रहीय सीमा एप्रोच: इसे जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक तापमान में वृद्धि, भूमि क्षरण, प्रदूषण, जल संकट जैसे पर्यावरणीय संकटों के संदर्भ में लागू किया जाता है।
    • बायोकैपेसिटी ओवरशूट एप्रोच:यह संधारणीयता संबंधी मापदंड है। यह बताता है कि मनुष्य पृथ्वी की प्राकृतिक प्रणालियों पर किस तरह से दबाव डाल रहे हैं। हर साल कुछ महीनों के भीतर ही हम प्राकृतिक प्रणालियों की कुल वार्षिक उत्पादकता का उपभोग कर लेते हैं। उदाहरण के लिए अर्थ ओवरशूट डे
  • सतत विकास की योजना में वहन क्षमता का महत्त्व: वहन क्षमता संबंधी आकलन एहतियाती सिद्धांतों (इन्फोग्राफिक देखें) पर आधारित होता है। यह सिद्धांत 'विकासात्मक गवर्नेंस’ और 'विकासात्मक संधारणीयता' के बीच टकराव से व्यावहारिक रूप से निपटने का विकल्प प्रदान करता है।
  • Tags :
  • Carrying Capacity
  • Earth Overshoot Day
  • Developmental Governance
  • Precautionary Principle
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