वित्त संबंधी लोक सभा की स्थायी समिति (2025-26) ने संसद में 'राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के कार्य निष्पादन की समीक्षा' पर अपनी 27वीं रिपोर्ट प्रस्तुत की।
रिपोर्ट में उजागर किए गए प्रमुख मुद्दे
- मानकों को लागू करने में असमर्थता: NSC के पास मंत्रालयों और निजी डेटा प्रदाताओं सहित सभी डेटा उत्पादकों पर समान मानक एवं कार्य-पद्धति लागू करने की शक्ति का अभाव है।
- डेटा विसंगतियां: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) जैसे सांख्यिकीय अनुमानों में डेटा विसंगतियां हितधारकों के विश्वास और जन विश्वास को कमजोर करती हैं।
- सीमित स्वायत्तता: इसके अनुपालन को अनिवार्य करने के लिए कानूनी समर्थन का अभाव है। इसके परिणामस्वरूप, इसकी परिचालन संबंधी प्रभावशीलता सीमित हो गई है।
समिति की सिफारिशें
- सांविधिक सशक्तीकरण: NSC को सभी मुख्य सांख्यिकीय गतिविधियों के लिए नोडल और स्वायत्त सांविधिक निकाय के रूप में मान्यता देनी चाहिए। इससे सरकारी और निजी दोनों डेटा उत्पादकों के लिए मानक निर्धारित करने हेतु इसे सशक्त बनाया जा सकेगा।
- राष्ट्रीय सांख्यिकीय मानक फ्रेमवर्क: डेटा संग्रहण, प्रतिदर्श चयन (sampling), और रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल में समरूपता लाने के लिए, भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) द्वारा निर्धारित लेखांकन मानकों के समान एक फ्रेमवर्क विकसित किया जाना चाहिए।
- औपचारिक सांख्यिकीय ऑडिट्स: एजेंसियों में डेटा प्रक्रियाओं की आवधिक व व्यापक समीक्षा आयोजित की जानी चाहिए तथा इसके निष्कर्षों को पारदर्शी रूप से प्रकाशित किया जाना चाहिए। इससे डेटा की गुणवत्ता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी।
- GDP कार्य-पद्धति में सुधार: अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्रकों के आर्थिक योगदानों को अधिक सटीक रूप से जानने के लिए GDP कार्य-पद्धति में सुधार किया जाना चाहिए।
- उल्लेखनीय है कि इन क्षेत्रकों की अर्थव्यवस्था में 60% से अधिक की हिस्सेदारी है।
- अन्य:
- राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली में AI का एकीकरण और क्षमता निर्माण करना चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर बल देना चाहिए, ताकि वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को देश में मूर्त परिणामों में बदला जा सके।
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statistical Commission: NSC) के बारे में
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