भारत की राष्ट्रपति ने केरल में श्री नारायण गुरु की महासमाधि शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया।

श्री नारायण गुरु के बारे में
- जन्म: उनका जन्म चेम्पज़हांथी (वर्तमान तिरुवनंतपुरम के पास) में एझावा परिवार में हुआ था।
- पहचान: वे एक संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने जाति व्यवस्था का घोर विरोध किया था।
- मुख्य योगदान
- उन्होंने "सभी मनुष्यों के लिए एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर" के विचार का प्रचार किया था।
- उन्होंने "अरुविपुरम आंदोलन" शुरू किया था। यह सभी जातियों के मंदिर में प्रवेश के समान अधिकार के लिए चलाए गए आरंभिक आंदोलनों में से एक था।
- उन्होंने 1903 में, पी. पल्पु के साथ मिलकर एक संगठन की स्थापना की थी। इसे बाद में श्री नारायण धर्म परिपालन योगम कहा गया। इसका उद्देश्य एझावा समुदाय का उत्थान करना था।
- उन्होंने त्रावणकोर में मंदिर प्रवेश के लिए वायकोम सत्याग्रह (1924-25) का समर्थन किया।
- रचनाएं: उनकी रचनाओं में अनुकम्पादसकम, ब्रह्मविद्या पंचकम आदि शामिल हैं।
- मूल्य: समानता, अहिंसा, करुणा, सत्यनिष्ठा, साहस आदि।