इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2024 में अपनाया था। यह साइबर अपराधों को रोकने और उन पर प्रतिक्रिया देने के लिए विश्व का पहला कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक समझौता है।
- यह अभिसमय कम-से-कम 40 हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्रों के अनुसमर्थन के 90 दिन बाद लागू हो जाएगा
साइबर अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के बारे में:
- इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य: यह एक वैश्विक मानक स्थापित करता है। यह सभी गंभीर अपराधों के लिए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संग्रह, साझाकरण और उपयोग के लिए पहला वैश्विक फ्रेमवर्क है।
- साइबर अपराधों का अपराधीकरण: यह साइबर-निर्भर अपराधों और ऑनलाइन धोखाधड़ी, ऑनलाइन बाल यौन शोषण व शोषण सामग्री, तथा बच्चों की ऑनलाइन ग्रूमिंग से संबंधित कृत्यों को अपराध घोषित करने वाली पहली वैश्विक संधि है।
- यह पहली संधि है, जिसने बिना सहमति के अंतरंग (intimate) तस्वीरों के प्रसार को अपराध के रूप में मान्यता दी है।
- वैश्विक नेटवर्क: यह देशों के बीच त्वरित सहयोग के लिए पहला वैश्विक 24/7 सहयोग नेटवर्क स्थापित करता है।
साइबर अपराध
- साइबर अपराध मुख्य रूप से दो व्यापक श्रेणियों में आते हैं: साइबर-सक्षम और साइबर-निर्भर।
- साइबर-सक्षम अपराध: इनमें ऑनलाइन की जाने वाली पारंपरिक आपराधिक गतिविधियां शामिल हैं, जैसे तस्करी, धोखाधड़ी, और हिंसा एवं घृणा के लिए उकसाना।
- साइबर-निर्भर अपराध: ये वे अपराध हैं, जो सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उपकरणों के उपयोग के माध्यम से किए जाते हैं, जैसे- फ़िशिंग, पहचान की चोरी, मैलवेयर व रैंसमवेयर हमले आदि।
- खतरा: साइबर अपराध भौगोलिक सीमाओं से परे होते हैं और सिस्टम, नेटवर्क व व्यक्तियों को बहुत तेजी एवं कुशलता से निशाना बनाते हैं।
- दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों को संगठित साइबर अपराधों की वजह से “ग्राउंड जीरो” के रूप में वर्णित किया जाता है।