भारत और आसियान ने 2022 में अपने संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" से बढ़ाकर "व्यापक रणनीतिक साझेदारी” के स्तर पर पहुंचाया था।
22वें शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणाम

- इस अवसर पर आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी (2026-2030) को लागू करने के लिए आसियान-भारत कार्य योजना का समर्थन किया गया।
- सतत पर्यटन पर आसियान-भारत नेताओं के संयुक्त वक्तव्य को अपनाया गया।
- दोनों पक्षों ने 2026 को "आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष" नामित किया।
- नालंदा विश्वविद्यालय में दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
- गुजरात के लोथल में “पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन समुद्री विरासत महोत्सव” आयोजित करने की घोषणा की गई।
भारत के लिए आसियान का महत्त्व
- आसियान केंद्रीयता को समर्थन: भारत आसियान देशों को अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति और एक्ट ईस्ट नीति के केंद्र में रखता है।
- व्यापार: आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (AITGA) व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 2009 में हस्ताक्षरित एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।
- दोनों पक्षों के बीच 2024-25 में लगभग 123 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
- चीन को प्रतिसंतुलित करना: आसियान-भारत समुद्री सहयोग पर संयुक्त वक्तव्य (2023) में दक्षिण चीन सागर में अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन की बात दोहराई गई है।
- भारत के पूर्वोत्तर का विकास: आसियान देश भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के सबसे करीब हैं। कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट इसी क्षेत्र से होकर गुजरते हैं।
- बहुपक्षवाद: आसियान फ्रेमवर्क बहुपक्षवाद के महत्त्व को उजागर करता है, जो भारतीय विदेश नीति का एक आवश्यक घटक है।
तिमोर-लेस्ते आसियान का 11वां सदस्य बनादक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संघ (आसियान/ ASEAN) के बारे में
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