संवैधानिक नैतिकता, सामाजिक बुराइयों से निपटने का एक साधन | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

संवैधानिक नैतिकता, सामाजिक बुराइयों से निपटने का एक साधन

Posted 27 Oct 2025

1 min read

डॉ. भीमराव अंबेडकर का मानना था कि यदि हम संवैधानिक नैतिकता के सिद्धांत का पालन करें तो समाज में मौजूद असमानताओं और विषमताओं को दूर किया जा सकता है। यह समाज में स्वाभाविक रूप से विकसित नहीं होती है, बल्कि इसे समाज को सिखाया जाना होगा।

संवैधानिक नैतिकता क्या है ?

  • अर्थ: यह संवैधानिक मानदंडों में निहित भावना और मंशा का पालन करना है।
    • ब्रिटिश इतिहासकार जॉर्ज ग्रोटे ने इसे स्वतंत्रता और नियंत्रण के बीच संतुलन के रूप में समझाया है, जहां नागरिक संवैधानिक संस्थाओं का पालन करते हैं और उनकी आलोचना करने के लिए स्वतंत्रता भी होते हैं।
  • यह संविधान में निम्नलिखित अनुच्छेदों के अंतर्गत निहित है:
    • मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12 से 35);
    • राज्य की नीति के निदेशक तत्व (अनुच्छेद 36 से 51);
    • प्रस्तावना; तथा 
    • मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A)।
  • महत्त्व: 
    • यह संवैधानिक गारंटियों को वास्तविक न्याय के रूप में परिवर्तित करती है, 
    • यह समावेशिता को बढ़ावा देती है, 
    • यह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करती है और 
    • यह तेजी से बदलते समाज में समानता भी सुनिश्चित करती है।

सामाजिक बदलाव लाने में न्यायालयों ने संवैधानिक नैतिकता का कैसे उपयोग किया है?

  • महिला समानता: इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य वाद (2018) में सुप्रीम कोर्ट ने रजस्वला (menstruating) आयु की लड़कियों व महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाने वाली प्रथा को असंवैधानिक ठहराया था। 
  • निजता की रक्षा: के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ (2018) मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को संवैधानिक नैतिकता को दर्शाने वाले मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा, क्योंकि यह व्यक्तिगत गरिमा, स्वायत्तता और स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
  • सकारात्मक बदलाव: नवतेज सिंह जौहर मामले (2018) में सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करके सामाजिक नैतिकता की तुलना में संवैधानिक नैतिकता को वरीयता दी थी। 
    • जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ (2018) मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 497 को रद्द करते हुए व्यभिचार (Adultery) को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
  • Tags :
  • Constitutional Morality
Watch News Today
Subscribe for Premium Features

Quick Start

Use our Quick Start guide to learn about everything this platform can do for you.
Get Started