शिक्षा मंत्रालय एक सार्थक और समावेशी AI व CT पाठ्यक्रम तैयार करने में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ CBSE, NCERT, KVS, और NVS जैसी संस्थाओं का समर्थन कर रहा है। इस पाठ्यक्रम को स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क (NCF SE) 2023 के अंतर्गत तैयार किया जाएगा।
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने AI और CT पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए IIT मद्रास के प्रोफेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
- शिक्षकों को प्रशिक्षण और लर्निंग-टीचिंग सामग्री की उपलब्धता के लिए निष्ठा (NISHTHA) प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा। यह पूरे पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन की आधारशिला बनेगा।
शिक्षा में AI और CT की भूमिका
- कम्प्यूटेशनल थिंकिंग का विकास: यह एक समस्या-समाधान दृष्टिकोण है, जिसमें जटिल समस्या को समझकर और उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर ऐसे हल खोजे जाते हैं, जिन्हें कंप्यूटर एक्जिक्यूट कर सके।
- इसमें निम्नलिखित चार मुख्य तकनीकें शामिल होती हैं:
- विभाजन: जटिल समस्या को छोटे हिस्सों में बांटना।
- पैटर्न को पहचानना: समस्याओं में पैटर्न या समानताएं पहचानना।
- पृथक्करण (Abstraction): केवल जरूरी जानकारी पर ध्यान देना और बाकी को छोड़ देना।
- एल्गोरिदम: चरण-दर-चरण समाधान तैयार करना, जिसे कंप्यूटर समझ सके।
- इसमें निम्नलिखित चार मुख्य तकनीकें शामिल होती हैं:
- आधारभूत कौशल: शुरुआती कक्षाओं में AI के सिलेबस को शामिल करने से बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग, तार्किक विवेक और नैतिक समझ विकसित होगी।
- छात्र प्रौद्योगिकी को समझना और उस पर प्रश्न करना सीखेंगे। साथ ही, ऐसे कौशल विकसित करेंगे, जो डिजिटल युग में साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के समान ही महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं।
- भविष्य के लिए तैयारी: जैसे-जैसे ऑटोमेशन उद्योगों को रूपांतरित कर रहा है, AI का पाठ्यक्रम यह सुनिश्चित करेगा कि अगली पीढ़ी तेजी से बदलते रोजगार के बाजार के लिए सक्षम और अनुकूल हो सके।