जैसे-जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन AI प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, भारत सहित अन्य देश सुरक्षित व प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए सॉवरेन AI (संप्रभु AI) को अपना रहे हैं।
- सॉवरेन AI का तात्पर्य एक राष्ट्र की अपनी स्वयं की अवसंरचना, डेटा और कार्यबल का उपयोग करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का सृजन करने की क्षमता से है।
देश सॉवरेन AI को क्यों अपना रहे हैं?
- आर्थिक लाभ: AI से खरबों डॉलर के आर्थिक लाभांश और उत्पादकता संबंधी लाभ होने का अनुमान है। इससे वर्तमान में ग्लोबल नॉर्थ को तो फायदा हो रहा है, लेकिन ग्लोबल साउथ को हानि वहन करनी पड़ रही है।
- रणनीतिक स्वायत्तता: AI आर्थिक और सैन्य शक्ति का एक स्तंभ बनता जा रहा है। देश मूलभूत AI मॉडल्स और कंप्यूटिंग पावर के लिए अमेरिका या चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं।
- डेटा संप्रभुता: यह सुनिश्चित करना कि महत्वपूर्ण डेटा (नागरिकों, रक्षा, अवसंरचना, स्वास्थ्य सेवा आदि से संबंधित डेटा) राष्ट्रीय नियंत्रण में रहे और विदेशी तकनीकी दिग्गजों द्वारा संसाधित न हो। ChatGPT और Grok जैसे अमेरिकी मॉडलों पर निर्भरता।
- सांस्कृतिक संरक्षण: संप्रभु बुनियादी मॉडल्स, जैसे कि लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (LLMs) को स्थानीय डेटा-सेट्स (उदाहरण के लिए- बोलियां, सामाजिक प्रथाएं आदि) पर प्रशिक्षित किया जा सकता है। इससे समावेशिता को बढ़ावा दिया जा सकेगा और देशज भाषाओं को पुनर्जीवित किया जा सकेगा।
भारत के लिए क्या चुनौतियां हैं?
- विदेशों पर निर्भरता: भारत प्रौद्योगिकी, घटकों और अवसंरचना के लिए विदेशों पर निर्भर है। उदाहरण के लिए- सिलिकॉन चिप्स।
- वित्त-पोषण: बड़े AI सृजन प्रतिष्ठान स्थापित करने के लिए, प्रारंभिक चरण में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रकों से भारी मात्रा में वित्त-पोषण की आवश्यकता होती है।
- कुशल कार्यबल: भारत में उन्नत चिप्स निर्माण और AI-LLM के विकास के लिए आवश्यक उच्च कौशल युक्त कार्यबल की कमी है।
भारत की सॉवरेन AI पहल: भारतजेन (BharatGen)
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