PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च ने 'राज्यों के वित्त की स्थिति 2025' रिपोर्ट जारी की | Current Affairs | Vision IAS
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In Summary

बढ़ते प्रतिबद्ध व्यय से राज्यों के विकास व्यय सीमित हो रहे हैं; जीएसटी राजस्व हिस्सेदारी में गिरावट आ रही है; उच्च ऋण और ब्याज लागत से वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ रहा है; सुधार और राजकोषीय अनुशासन पर जोर दिया जा रहा है।

In Summary

रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिबद्ध (यानी निर्धारित) व्यय के बढ़ते स्तर राज्यों के वित्तीय दायरे को सीमित कर रहे हैं। इससे विकास-केंद्रित गतिविधियों को शुरू करने की उनकी क्षमता कम हो रही है। 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • उच्च प्रतिबद्ध व्यय: राज्यों ने 2023-24 में राजस्व प्राप्तियों का 62% वेतन, पेंशन व ब्याज भुगतान और सब्सिडी पर खर्च किया था। 
  • GST राजस्व हिस्सेदारी में कमी: 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से, जीएसटी के अंतर्गत सम्मिलित करों से प्राप्त कुल राजस्व में गिरावट दर्ज की गई है। इन करों से 2015-16 में जीडीपी के 6.5% के बराबर राजस्व प्राप्त होता था, जो 2023-24 में घटकर जीडीपी का 5.5% रह गया। इससे राज्यों की स्वयं की कर क्षमता कम हो गई। 
    • 15वें वित्त आयोग ने मध्यम अवधि में GST से राजस्व-जीडीपी अनुपात 7% अनुमानित किया था। 
  • बिना शर्त वाली (Untied) निधियों के अंतरण में कमी: 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत राज्यों को कुल अंतरण में बिना शर्त वाली निधियों की हिस्सेदारी कम होकर 64% रह गई है। 14वें वित्त आयोग के दौरान यह हिस्सेदारी 68% थी। इससे राज्यों की खर्च करने की प्राथमिकताओं में विकल्प कम हो गए हैं। 
  • उच्च ऋण बोझ: 2024-25 में राज्यों का बकाया ऋण सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 27.5% रहा है। यह राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) लक्ष्य (20%) से बहुत अधिक है। केवल गुजरात, महाराष्ट्र और ओडिशा ही इस लक्ष्य सीमा को पूरा करते हैं। 
  • बढ़ता ब्याज भुगतान: ब्याज लागत राजस्व वृद्धि को पीछे छोड़ते हुए सालाना 10% (2016-17 से 2024-25) की दर से बढ़ी है।
  • महिलाओं के लिए बिना शर्त नकद हस्तांतरण से वित्तीय दबाव: 2025-26 में, महिलाओं को बिना शर्त नकद हस्तांतरण प्रदान करने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। 
  • राज्यों के बीच प्रति व्यक्ति आय के अंतराल में वृद्धि: उच्च आय वाले राज्य प्रति व्यक्ति अधिक राजस्व अर्जित करते हैं और विकास पर अधिक खर्च करते हैं। इसलिए, यह अंतराल देखने को मिलता है। 

आगे की राह

  • वित्तीय अनुशासन लागू करना: राज्यों को राजस्व घाटे में कमी लानी चाहिए, नियमित खर्चों के लिए उधार लेने से बचना चाहिए और बजट से बाहर के ऋणों को समाप्त करना चाहिए।
    • ब्याज के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए ऋण को 20% के लक्ष्य के करीब लाना चाहिए। 
  • राजस्व को समझदारी से बढ़ाना: GST स्लैब को सुव्यवस्थित करना चाहिए। साथ ही, उचित उपयोगकर्ता शुल्क, खनन रॉयल्टी, संपत्ति मुद्रीकरण, मजबूत संपत्ति कर और उत्पाद शुल्क प्रणालियों के माध्यम से गैर-कर राजस्व बढ़ाना चाहिए।
  • समझदारी से खर्च करना: सब्सिडी और नकद अंतरण को तर्कसंगत बनाना चाहिए, प्रतिबद्ध व्यय को नियंत्रित करना चाहिए, उत्तम रीति से पूंजीगत व्यय करना चाहिए, और बिना शर्त वाले अंतरणों का विस्तार करना चाहिए। 
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