इस देशव्यापी प्रथम सर्वेक्षण में चार अत्यंत संकटग्रस्त (Critically Endangered) गिद्ध प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये प्रजातियां हैं- श्वेत पुट्ठे वाले गिद्ध, भारतीय गिद्ध, पतली चोंच वाले गिद्ध और लाल सिर वाले गिद्ध। इस आकलन में प्रजनन करने वाले वयस्क गिद्धों की संख्या का अनुमान लगाया गया है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- भौगोलिक दायरा: सर्वेक्षण में 17 राज्यों के 216 स्थलों पर गिद्धों की उपस्थिति दर्ज की गई है।
- रेंज क्षेत्र में कमी: देशभर में ऐसे लगभग 70% स्थलों पर गिद्धों के घोंसले नहीं पाए गए हैं, जहां पहले इनकी उपस्थिति होती थी।
- संरक्षित क्षेत्रों (PAs) पर निर्भरता: सभी दर्ज किए गए घोंसलों में से 54% संरक्षित क्षेत्रों में पाए गए हैं।
- प्रजाति-विशिष्ट निष्कर्ष:
- भारतीय गिद्ध (Gyps indicus/ जिप्स इंडिकस): यह मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में पाया जाता है। इनकी सबसे बड़ी आबादी मुकुंदरा हिल्स में पाई जाती है। यह ज्यादातर सुरक्षित चट्टानी स्थलों पर रहता है।
- श्वेत पुट्ठे वाला गिद्ध (Gyps bengalensis/ जिप्स बंगालेंसिस): हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी में पाया जाता है।
- पतली चोंच वाला गिद्ध (Gyps tenuirostris/ जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस): मुख्य रूप से असम के ऊपरी भाग में प्रजनन करता है।
- लाल सिर वाला गिद्ध (Sarcogyps calvus/ सरकोजिप्स कैल्वस): यह मध्य प्रदेश में पाया गया जाता है। यह सघन व मानव हस्तक्षेप से मुक्त जंगलों में रहता है। इसकी आबादी अत्यंत कम और बिखरी हुई है।
गिद्ध
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