इस अपडेट में 12 भारतीय पक्षी प्रजातियों की संरक्षण स्थिति में बदलाव किया गया है। अब आठ प्रजातियों को ‘निम्न संकटग्रस्त’ श्रेणी में शामिल किया गया है। हालांकि, यह संरक्षण में सकारात्मक रुझान को दर्शाता है। वहीं चार प्रजातियों को ‘अधिक संकटग्रस्त सूची’ में शामिल किया गया है।
- जिन चार प्रजातियों को ‘अधिक संकटग्रस्त’ श्रेणी में शामिल किया गया है, उनमें शामिल हैं-
- इंडियन कोर्सर, इंडियन रोलर और रूफस-टेल्ड लार्क को “नियर थ्रेटेन्ड” सूची में शामिल किया गया है।
- लॉन्ग-बिल्ड ग्रासहॉपर-वार्बलर को ‘एंडेंजर्ड’ सूची में शामिल किया गया है।
- ये सभी चार प्रजातियां खुले प्राकृतिक पारिस्थितिकी-तंत्रों पर निर्भर करती हैं। इनमें घास के मैदान, अर्ध-शुष्क भू-परिदृश्य, रेगिस्तान, कृषि भूमि, पहाड़ी झाड़ियां और परती भूमि जैसे पर्यावास शामिल हैं।
- इन पारिस्थितिकी प्रणालियों के समक्ष खतरे: इनमें विद्युत से संबंधित अवसंरचना का विस्तार, गहन कृषि का प्रसार, आक्रामक प्रजातियों का प्रवेश तथा वनरोपण के माध्यम से घास के मैदानों को वनों में बदलना शामिल है।
IUCN रेड लिस्ट में किया गया अपडेट
- विश्व स्तर पर पक्षी प्रजातियों में से आधे से अधिक की संख्या में कमी आ रही है। इसका मुख्य कारण पर्यावास की हानि व क्षरण है, जो कृषि विस्तार एवं गहन कृषि तथा वृक्षों की कटाई के कारण हो रहा है।
- पक्षी पारिस्थितिकी-तंत्र और लोगों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पक्षी परागणकर्ता, बीज फैलाने वाले, कीट नियंत्रक, स्कैवेंजर्स (सफाईकर्ता) और पारिस्थितिकी-तंत्र के इंजीनियर के रूप में कार्य करते हैं।
- आर्कटिक सील की तीन प्रजातियां विलुप्त होने के करीब पहुंच गई हैं। इसके लिए जिम्मेदार प्राथमिक खतरा वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण समुद्री बर्फ का पिघलना है।
- सील, एक कीस्टोन प्रजाति है। यह खाद्य जाल में केंद्रीय भूमिका निभाती है। यह मछली और अकशेरुकी जीवों को खाती है तथा पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण करती है।
- हरा समुद्री कछुआ भी एक कीस्टोन प्रजाति है। इस प्रजाति के लिए किए गए संरक्षण संबंधी निरंतर प्रयासों के कारण इसकी संरक्षण स्थिति एंडेंजर्ड से लिस्ट कंसर्न में सूचीबद्ध हो गई है।
संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट के बारे में
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