अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने IUCN विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 के अवसर पर भारत के पहले डुगोंग संरक्षण रिजर्व को मान्यता देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। यह संरक्षण रिजर्व पाक की खाड़ी (तमिलनाडु) में अवस्थित है।

- डुगोंग (डुगोंग डुगोन) के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए, IUCN ने भारतीय मॉडल को हिंद महासागर के अन्य हिस्सों एवं विश्व के अन्य इसी तरह के पर्यावासों में भी अपनाने की सलाह दी है।
डुगोंग संरक्षण रिजर्व के बारे में
- इसे वर्ष 2022 में तमिलनाडु सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत स्थापित किया था।
- यह पाक खाड़ी के उत्तरी हिस्से में 448.34 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
- यहां 12,250 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में समुद्री घास पारितंत्र मौजूद हैं।
- समुद्री घास कई अन्य समुद्री प्रजातियों का भी पोषण करती है, जिससे यह रिजर्व पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
- समुद्री घास कार्बन प्रच्छादन (Carbon sequestration) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
डुगोंग (सी काऊ) के बारे में
- मुख्य विशेषता: यह एकमात्र समुद्री शाकाहारी स्तनधारी है, जो पूरी तरह से समुद्री घास पर निर्भर है।
- वितरण: भारत में, पाक खाड़ी (जहां इनकी संख्या सबसे ज्यादा है) के अलावा यह मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी आदि में भी पाया जाता है।
- आबादी: अनुमानित आबादी लगभग 200 है।
- खतरा: पर्यावास का नष्ट होना, शिकार और अनजाने में पकड़ लिया जाना।
- स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: वल्नरेबल।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध।