इस धनराशि का उद्देश्य आंध्र प्रदेश में किसानों को वितरित करने हेतु एक लाख लाल चन्दन (Red Sanders) के पौधे उगाना है। इस धनराशि का स्रोत ‘पहुंच और लाभ साझाकरण (Access and Benefit Sharing)’ तंत्र है।
भारत में ABS तंत्र के बारे में:
- शुरुआत: ABS की अवधारणा का स्रोत जैव विविधता अभिसमय (CBD), 1992, और इसके ‘पहुंच और लाभ साझाकरण पर नागोया प्रोटोकॉल, 2010’ है।
- परिभाषा: यह जैव-संसाधनों तक पहुंच को विनियमित करता है। साथ ही, यह इन संसाधनों के उपयोगकर्ताओं और प्रदाताओं (जैसे स्थानीय समुदायों) के साथ लाभों का उचित एवं न्यायसंगत रूप से साझा करना सुनिश्चित करता है।
- कानूनी फ्रेमवर्क: भारत ने CBD के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप जैव-विविधता अधिनियम, 2002 बनाया है। इस कानून का उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण और इसके संधारणीय उपयोग को सुनिश्चित करना है।
- कार्यान्वयन:
- भारत ABS को तीन-स्तरीय प्रणाली के माध्यम से लागू करता है:
- केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (मुख्यालय, चेन्नई),
- राज्य स्तर पर राज्य जैव विविधता बोर्ड (SBBs), और
- स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियां (BMCs)।
- उपर्युक्त वैधानिक संस्थाएं जैव विविधता अधिनियम के तहत ‘पहुंच, लाभ साझाकरण और वितरण’ का प्रबंधन करती हैं।
- भारत ABS को तीन-स्तरीय प्रणाली के माध्यम से लागू करता है:
- उदाहरण:
- कानी जनजाति (केरल): इस जनजाति ने एक औषधीय पौधे आरोग्यपाचा (Arogyapacha) के बारे में पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर ‘जीवनी’ दवा विकसित की।
- लाभ-साझाकरण समझौते के तहत कानी जनजाति को रॉयल्टी मिलती है।
- कानी जनजाति (केरल): इस जनजाति ने एक औषधीय पौधे आरोग्यपाचा (Arogyapacha) के बारे में पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर ‘जीवनी’ दवा विकसित की।
लाल चंदन (रेड सैंडर्स) के बारे में
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