संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के ‘कूल कोएलिशन’ ने ‘ग्लोबल कूलिंग वॉच 2025' रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में उन संधारणीय शीतलन समाधानों (Sustainable Cooling Pathway) का उल्लेख किया गया है जो 2050 तक शीतलन से होने वाले अनुमानित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में नाटकीय रूप से कमी ला सकते हैं।
रिपोर्ट में रेखांकित मुख्य चिंताएं
- शीतलन तकनीकों की मांग में वृद्धि: यदि मौजूदा शीतलन तकनीकों के उपयोग और उनकी मांग में वृद्धि जारी रहती है तो वैश्विक शीतलन उपकरणों की क्षमता 2022 की 22 टेरावॉट (TW) से बढ़कर 2050 तक 68 TW हो जाएगी। यह तीन गुना वृद्धि है।
- नीतियों में कमियां: विश्व के केवल 54 देश ही संधारणीय शीतलन समाधान को पूरी तरह अपनाए हुए हैं। वैसे कई देशों की नीतियों में इनका उल्लेख तो है, लेकिन इस दिशा में कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है।
- बढ़ती भीषण गर्मी: जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार, आज विश्व की 30% आबादी घातक उष्मीय तनाव (Heat Stress) का सामना कर रही हैं। यह अनुपात सदी के अंत तक बढ़कर 48% से 76% तक हो सकता है।
- यह समस्या शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव और लू (हीटवेव्स) की वजह से और अधिक गंभीर हो जाएगी।
प्रस्तावित संधारणीय शीतलन समाधान
- परंपरागत शीतलन तकनीक: मकानों के डिजाइन, शहरी नियोजन और रेफ्रिजरेटेड कैबिनेट्स पर दरवाजे जैसे आसान परंपरागत उपायों का सहारा लिया जा सकता है। इससे आधुनिक शीतलन तकनीकों पर भार कम होगा। इससे लागत और उत्सर्जन, दोनों में कमी आएगी।
- कम ऊर्जा खपत वाली शीतलन तकनीकों का उपयोग: एयर कंडीशनिंग की बजाय या उसके साथ पंखे और वाष्पशील कूलर जैसी कम ऊर्जा खपत वाली प्रणालियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे ऊर्जा उपयोग और लागत में कटौती की जा सकती है।
- सर्वोत्तम ऊर्जा दक्षता वाली तकनीकों को अपनाना: परिवर्तनीय-गति वाले कंप्रेसर और उच्च दक्षता वाली प्रणालियां अपनानी चाहिए और इनका नियमित रूप से रखरखाव भी करना चाहिए। इससे ये प्रणालियां अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन देंगी।
- हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) का चरणबद्ध रूप से उपयोग समाप्त करना: कम वैश्विक तापवृद्धि क्षमता (GWP) वाले ऐसे रेफ्रिजरेंट उपयोग करना चाहिए जिसकी दक्षता हमेशा बनी रहे। इससे प्रत्यक्ष उत्सर्जन कम होगा और संधारणीय शीतलन को बढ़ावा मिलेगा।
‘बीट द हीट’ वैश्विक पहल के बारे में
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