भारत को श्रेणी B में फिर से चुना गया है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार में सर्वाधिक रुचि रखने वाले देश शामिल होते हैं।
- IMO परिषद में तीन श्रेणियों (A, B और C) में 40 निर्वाचित सदस्य होते हैं और यह IMO के कार्यकारी निकाय के रूप में कार्य करती है।
IMO के बारे में (मुख्यालय: लंदन, यूनाइटेड किंगडम)
- उत्पत्ति: वर्ष 1948 में अंतर-सरकारी समुद्री सलाहकार संगठन (IMCO) के रूप में स्थापना की गई थी। वर्ष 1982 में नाम बदलकर IMO कर दिया गया था।
- भूमिका: यह संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है, जो पोत परिवहन की सुरक्षा और संरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
- पोत परिवहन उद्योग के लिए एक विनियामक ढांचा तैयार करना, जो निष्पक्ष एवं प्रभावी, सार्वभौमिक रूप से अपनाया गया और सार्वभौमिक रूप से कार्यान्वित हो।
IMO की समुद्री सुरक्षा में भूमिका
- प्रमुख IMO अभिसमय और रणनीतियां:
- जहाजों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (MARPOL): जहाजों से तेल, रसायन, सीवेज, अपशिष्ट आदि से होने वाले प्रदूषण को रोकना और न्यूनतम करना।
- ब्लॅास्ट जल प्रबंधन अभिसमय: हानिकारक जलीय जीवों और रोगजनकों के प्रसार को रोकना तथा नए समुद्री परिवेश में आक्रामक प्रजातियों के प्रवेश को रोकना।
- समुद्री जीवन के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (SOLAS): जहाजों के लिए न्यूनतम सुरक्षा मानक स्थापित करता है। इन मानकों में अग्निशमन और नेविगेशन के लिए आवश्यकताएं शामिल हैं।
- नाविकों के प्रशिक्षण, प्रमाणन और वॉचकीपिंग के मानकों पर अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय: यह नाविकों के प्रशिक्षण एवं प्रमाणन के लिए योग्यता निर्धारित करता है।
- जहाजों से ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी पर 2023 IMO रणनीति: इसका उद्देश्य 2050 तक नेट जीरो GHG उत्सर्जन प्राप्त करना है।