केंद्रीय भूमिजल बोर्ड (CGWB) ने वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट, 2025 जारी की | Current Affairs | Vision IAS
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    केंद्रीय भूमिजल बोर्ड (CGWB) ने वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट, 2025 जारी की

    Posted 29 Nov 2025

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    रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में प्रदूषण स्तर अधिक है, जबकि अधिकांश भूजल सिंचाई के लिए उपयुक्त है।

    रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

    • भारत का 71.7% भूजल भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानकों को पूरा करता है, लेकिन 28.3% नमूनों में एक या एक से अधिक मापदंड निर्धारित सीमा से अधिक पाए गए हैं।
    • नाइट्रेट संदूषण: नाइट्रेट राष्ट्रीय स्तर पर सबसे व्यापक संदूषण है। लगभग 20% नमूनों में नाइट्रेट की WHO और BIS द्वारा निर्धारित सीमा (45 mg/L) से अधिक मात्रा पाई गई है। इसके बाद फ्लोराइड और लवणता का स्थान है।
      • इसका मुख्य कारण मानवजनित स्रोत हैं, जैसे उर्वरकों का उपयोग, सीवेज व पशु अपशिष्ट का भूजल में रिसना आदि।
    • यूरेनियम संदूषण: पूर्व-मानसून के दौरान 6.71% और मानसून के बाद 7.91% नमूनों में यूरेनियम का स्तर सुरक्षित सीमा (30 ppb) से अधिक पाया गया।
      • पंजाब में सबसे अधिक संदूषण दर्ज किया गया। इसके बाद हरियाणा और दिल्ली का स्थान रहा।
    • लवणता: लवणता (विद्युत चालकता) राजस्थान और दिल्ली जैसे शुष्क एवं अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में एक गंभीर मुद्दा है। 7.23% नमूनों में सीमा से अधिक लवणता पाई गई।
    • फ्लोराइड: देशव्यापी नमूनों में से 8.05% में निर्धारित सीमा का उल्लंघन हुआ है। हालांकि, यह मुख्य रूप से भू-जनित (geogenic/ यानी प्राकृतिक रूप से) था। राजस्थान में सबसे अधिक संदूषण देखा गया।
    • सीसा: दिल्ली में सबसे अधिक सीसा संदूषण दर्ज किया गया। यह संज्ञानात्मक विकास को बाधित कर सकता है, रक्तचाप बढ़ा सकता है, गुर्दे को प्रभावित कर सकता है आदि। इसके अलावा, इसे संभावित कैंसरकारक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है।
    • सिंचाई के लिए उपयुक्तता: भूजल की गुणवत्ता सिंचाई उद्देश्यों के लिए काफी हद तक उपयुक्त है। अधिकांश नमूने (94.30%) "उत्कृष्ट श्रेणी" में आते हैं।
    • अन्य गौण धातु और भू-जनित संदूषण: आर्सेनिक (विशेष रूप से गंगा व ब्रह्मपुत्र बेसिन में), मैंगनीज (जैसे- असम, कर्नाटक, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) आदि।

    केंद्रीय भूमिजल बोर्ड (CGWB) के बारे में

    • मुख्यालय: फरीदाबाद (हरियाणा)।
    • उत्पत्ति: इसकी स्थापना 1970 में अन्वेषणात्मक नलकूप संगठन का नाम बदलकर की गई थी। 
    • मंत्रालय: जल शक्ति मंत्रालय के अधीन।
    • भूमिका: देश के भूजल संसाधनों का प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी व विनियमन करना।
    • यह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित केंद्रीय भूमिजल प्राधिकरण (CGWA) के रूप में भी कार्य कर रहा है।
    • Tags :
    • Annual Groundwater Quality Report 2025
    • Uranium Levels
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