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केंद्र हाथ से बनाए गए खाकों (sketches) को सटीक स्थानिक डेटाबेस जैसे नक्शा (NAKSHA) से बदलकर शहरी संपत्ति पंजीकरण प्रणाली में एक बड़ा बदलाव करने की योजना बना रहा है।

नक़्शा/NAKSHA (शहरी आवासों का राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण) के बारे में

  • मंत्रालय: यह डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के तहत भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय) का एक प्रायोगिक कार्यक्रम है।
  • लक्ष्य: अत्याधुनिक हवाई और फील्ड सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग करके शहरी भूमि खंडों का एक व्यापक GIS-एकीकृत डेटाबेस बनाना।
  • महत्व: पारदर्शी संपत्ति स्वामित्व निर्धारित होगा, शहरी नियोजन सुव्यवस्थित होगा, बेहतर अवसंरचना विकास होगा आदि।

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारतीय शहरों में श्वसन द्वारा शरीर में प्रवेश करने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स (iMPs) की उच्च सांद्रता पाई गई है।

श्वसन द्वारा शरीर में प्रवेश करने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स (iMPs) के बारे में

  • अर्थ: ये ऐसे प्लास्टिक कण हैं, जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर (माइक्रोन) से कम होता है, जबकि सामान्य माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार 5 मिलीमीटर से कम होता है।
    • एक बार साँस लेने पर, ये प्लास्टिक कण फेफड़ों में गहराई तक तथा रक्तप्रवाह (bloodstream) में प्रवेश कर सकते हैं। साथ ही, संभावित रूप से महत्वपूर्ण अंगों तक भी पहुंच सकते हैं। ये 'ट्रोजन हॉर्स' की तरह कार्य करते हैं।
  • संभावित स्वास्थ्य प्रभाव: iMPs रोगजनकों और विषाक्त रसायनों का वहन कर सकते हैं। इससे सूजन (inflammation), कोशिकीय तनाव (cellular stress), और कैंसर जैसी दीर्घकालिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

वैज्ञानिकों ने 2023 में नासा के ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान द्वारा क्षुद्रग्रह बेन्नू से एकत्र किए गए नमूनों में ग्लूकोज (Glucose) पाया है।

  • इस खोज से प्रारंभिक सौर मंडल में जीवन के लिए आवश्यक रासायनिक सामग्री की उपस्थिति का संकेत मिलता है।

क्षुद्रग्रह बेन्नू के बारे में

  • यह एक अपेक्षाकृत छोटा क्षुद्रग्रह है, जो लगभग प्रत्येक 6 वर्षों में पृथ्वी के निकट से गुजरता है।
  • घटक: यह ऐसी चट्टानों (जो पृथ्वी पर नहीं पाई जाती) का एक मिश्रण है, जो बहुत ही शिथिल तरीके से परस्पर जुड़ी हुई हैं। ये गुरुत्वाकर्षण या अन्य बलों द्वारा मुश्किल से एक साथ जुड़ी हुई हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अनुसार 97 केंद्रीय और राज्य कानूनों में अभी भी ऐसे प्रावधान हैं, जो कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों के साथ भेदभाव करते हैं।

कुष्ठ रोग (हेंसन रोग) के बारे में

  • कारण: यह एक दीर्घकालिक (Chronic) संक्रामक रोग है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। 
  • प्रभावित अंग: यह रोग मुख्य रूप से त्वचा, परिधीय तंत्रिकाओं, ऊपरी श्वसन पथ और आंखों के म्यूकोसा को प्रभावित करता है।
  • परिणाम: यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) क्रमिक और स्थायी अक्षमताएं पैदा कर सकता है।
  • संचरण: अनुपचारित रोगी के निकट और लगातार संपर्क में रहने पर उस रोगी के नाक और मुंह से निकली बूंदों के माध्यम से इस रोग का संक्रमण फैलता है।
  • भारत में स्थिति:
    • प्रचलन दर 1981 की 10,000 पर 57.2 से घटकर 2025 में 10,000 पर 0.57 हो गई है। इस प्रकार इसके फैलाव में 99% की कमी आई है।
    • भारत ने 2005 में कुष्ठ रोग को “लोक स्वास्थ्य समस्या” के रूप में समाप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। भारत द्वारा इस रोग के उन्मूलन की घोषणा WHO के मानदंड के अनुसार थी। WHO मानदंड है- राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 मामले से भी कम।
  • उन्मूलन के प्रयास: राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP), राष्ट्रीय रणनीतिक योजना और कुष्ठ रोग के लिए रोडमैप (2023-2027) आदि।

हाल ही में, यह विधेयक केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में संशोधन करने के लिए लोक सभा में पारित किया गया।

विधेयक के बारे में

  • पृष्ठभूमि:
    • जीएसटी (2017) की शुरुआत के साथ कई मदों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क समाप्त कर दिया गया था, हालांकि तंबाकू व तंबाकू उत्पाद, शराब, पेट्रोलियम जैसी मदों को जीएसटी से बाहर रखा गया था।
    • जीएसटी के साथ, राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए तंबाकू जैसे उत्पादों पर जीएसटी प्रतिपूर्ति उपकर (compensation cess) भी लगाया गया था।
    • इस प्रकार, तंबाकू व तंबाकू उत्पाद वर्तमान में जीएसटी, प्रतिपूर्ति उपकर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के अधीन हैं।
    • तंबाकू व तंबाकू उत्पादों पर प्रतिपूर्ति उपकर को समाप्त करने की योजना है।
  • विधेयक का उद्देश्य: एक बार जीएसटी प्रतिपूर्ति उपकर समाप्त हो जाने के बाद, तंबाकू व संबंधित उत्पादों पर उच्च उत्पाद शुल्क लगाना, ताकि उन पर करों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखा जा सके।
    • उत्पाद शुल्क: यह वस्तुओं के घरेलू उत्पादन पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाने वाला एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है। 

सर्वेक्षण रिपोर्ट के बावजूद केंद्र विमुक्त जनजातियों को वर्गीकृत नहीं कर रहा है।

  • AnSI (भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण) ने अपनी 2023 की रिपोर्ट में इन DNTs में से 85 के लिए नए वर्गीकरण की सिफारिश की थी।

विमुक्त जनजातियों (DNTs) के बारे में

  • DNTs: ये वे जनजातियां हैं, जिन्हें औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन ने आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत अपराधी के रूप अधिसूचित किया था।
    • 1871 के अधिनियम को 1949 में निरस्त कर दिया गया था और "आपराधिक जनजाति" के रूप में घोषित समुदाय को 1952 में “विमुक्त” घोषित कर दिया गया था। 
    • इदाते आयोग (2017) ने DNTs के लिए एक स्थायी आयोग स्थापित करने और DNT आबादी की गणना के लिए जाति जनगणना कॉलम बनाने की सिफारिश की थी।

हाल ही में, CDSCO ने प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं की रिपोर्ट करने के लिए सभी खुदरा और थोक फार्मेसियों पर एक निर्दिष्ट क्यूआर कोड व टोल-फ्री नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया।

CDSCO के बारे में (मुख्यालय: नई दिल्ली)

  • स्थापना: यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत एक वैधानिक प्राधिकरण है।
  • मंत्रालय: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय।
  • कार्य: दवाओं के आयात पर विनियामक नियंत्रण, नई दवाओं और नैदानिक ​​परीक्षणों (clinical trials) का अनुमोदन, आदि।

रूस के निचले सदन ने पारस्परिक लॉजिस्टिक्स सहायता विनिमय (RELOS) समझौते की पुष्टि की है। यह रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को गहरा करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

RELOS समझौते के बारे में

  • उद्देश्य: यह समझौता भारत और रूस की सेनाओं को एक-दूसरे के सैन्य अड्डों, हवाई क्षेत्रों, रखरखाव सुविधाओं और बंदरगाहों पर लॉजिस्टिक्स एवं सहायता सुविधाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। 
  • महत्व: संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण, आपदा राहत, ईंधन भरने, मरम्मत और बंदरगाह यात्राओं को सुविधाजनक बनाएगा।
  • सामरिक प्रभाव: यह भारत की परिचालन संबंधी पहुंच को बढ़ाएगा। इसमें रूसी नौसैनिक मार्गों तक संभावित पहुंच शामिल है। साथ ही, यह समग्र सैन्य समन्वय को मजबूत करेगा। 
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