यह शिखर सम्मेलन भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी पर घोषणा (2000) की 25वीं वर्षगांठ का भी प्रतीक था।
- इस साझेदारी को औपचारिक रूप से 2010 में "विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" के रूप में उन्नत किया गया था।
शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणाम
- आर्थिक कार्यक्रम 2030: दोनों देशों ने ऊर्जा और रक्षा से आगे व्यापार में विविधता लाने के लिए "2030 तक भारत-रूस आर्थिक सहयोग के रणनीतिक क्षेत्रों के विकास के लिए कार्यक्रम" अपनाया।
- व्यापार लक्ष्य: दोनों पक्षों ने 2030 तक $100 बिलियन के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य निर्धारित किया। 2024-25 में यह व्यापार $68.7 बिलियन था।
- वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह को सुगम बनाने के लिए भारत और यूरेशियाई आर्थिक संघ (EAEU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता को तीव्र किया गया।
- भुगतान तंत्र: पश्चिमी देशों की भुगतान प्रणालियों पर निर्भरता कम करने के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं में द्विपक्षीय लेन-देन निपटान का विस्तार करने तथा भुगतान प्रणालियों और सेंट्रल बैंक डिजिटल कर्रेंसीज़ (CBDCs) की अंतर-संचालनीयता (interoperability) पर सहमति बनी।
- ऊर्जा: रूस ने बाधारहित तेल एवं गैस आपूर्ति और भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम (कुडनकुलम, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर आदि) के लिए निरंतर समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताई।
- रक्षा और सुरक्षा: संयुक्त अनुसंधान एवं विकास (R&D), सह-उत्पादन (मेक इन इंडिया का समर्थन), सैन्य अभ्यास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स: INSTC (अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर और उत्तरी समुद्री मार्ग पर सहयोग बढ़ाया गया।
- आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ध्रुवीय जल (Polar Waters) में संचालित होने वाले जहाजों हेतु विशेषज्ञों के प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों में सहयोग: रूस औपचारिक रूप से भारत के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन (IBCA) में शामिल हुआ।
- लोगों के बीच संबंध: कुशल भारतीय कामगारों के लिए प्रवासन और आवागमन पर समझौता ज्ञापन, रूसी नागरिकों के लिए 30-दिवसीय वीजा-मुक्त ई-पर्यटक प्रवेश, आदि।