दिल्ली उच्च न्यायालय ने डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (DRL) के खिलाफ दायर पेटेंट-उल्लंघन की याचिका खारिज की | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

In Summary

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेमाग्लूटाइड पर नोवो नॉर्डिस्क के पेटेंट मुकदमे को खारिज कर दिया, जिसमें संभावित सदाबहार प्रथाओं का हवाला दिया गया, जो महत्वपूर्ण चिकित्सीय सुधारों के बिना पेटेंट अधिकारों का विस्तार करती हैं, जिससे सस्ती जेनेरिक दवाओं तक पहुंच बनी रहती है।

In Summary

दिल्ली उच्च न्यायालय ने डेनमार्क की दवा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क द्वारा डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के खिलाफ सेमाग्लूटाइड दवा के उत्पादन को लेकर दायर याचिका पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।

  • सेमाग्लूटाइड को भारत में नोवो नॉर्डिस्क ने पेटेंट कराया है। यह एक सक्रिय औषधीय संघटक (Active pharmaceutical ingredient: API) है। इसका उपयोग टाइप-2 डायबिटीज और वजन घटाने के इलाज में किया जाता है। 
    • API किसी दवा में मौजूद वह रासायनिक तत्व है जो वास्तविक इलाज करता है—जैसे दर्द कम करना, बुखार घटाना या किसी बीमारी का इलाज करना।
  • नोवो नॉर्डिस्क अपनी एंटी-डायबिटिक और वजन घटाने वाली दवाओं को ओज़ेम्पिक (Ozempic) और वीगोवी (Wegovy) ब्रांड नाम से बेचती है।
  • उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में  यह भी कहा कि सेमाग्लूटाइड में “आंशिक बदलाव” करके दो पेटेंट प्राप्त करना वास्तव में एवरग्रीनिंग का मामला हो सकता है। 

पेटेंट की एवरग्रीनिंग क्या है?

  • सामान्यतः पेटेंट अधिकतम 20 वर्षों के लिए दिया जाता है।  दवा कंपनियां अपनी किसी दवा की पेटेंट अवधि बढ़ाने के लिए दवा में बहुत मामूली बदलाव करके नए पेटेंट लेने के लिए आवेदन करती हैं। इस तरह दवा पर उनका एकाधिकार बना रहता है। इसे ही पेटेंट की एवरग्रीनिंग कहते हैं।  
  • एवरग्रीनिंग के तहत किए जाने वाले बदलावों के प्रकार: दवा के नए रूप प्रस्तुत करना; साल्ट का अलग रूप उपयोग करना, आइसोमेरिक रूप में बदलाव, नया पॉलीमॉर्फ उपयोग करना, खुराक या डिलीवरी सिस्टम में बदलाव करना, आदि। 
    • उपर्युक्त बदलावों से दवा के चिकित्सीय प्रभाव में बदलाव नहीं आता। 
  • एवरग्रीनिंग से निपटने हेतु कानूनी प्रावधान
    • पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3(d): दवा के नए रूप या ज्ञात रासायनिक तत्वों के नए उत्पादों पर पेटेंट तभी दिया जा सकता है जब वे पहले की तुलना में अधिक चिकित्सीय प्रभाव दर्शाएं। अर्थात, नए बदलावों से दवा के अधिक असरदार होने की पुष्टि होती हो। इससे पेटेंट की एवरग्रीनिंग को रोकने में मदद मिलती है।  
    • पेटेंट-योग्य मानक: उत्पाद के नवीन और नया आविष्कार होने की सख्त शर्तें पूरी करने पर ही पेटेंट मिलता है। दवा में साधारण बदलावों या पुरानी दवा के संघटकों में तकनीकी बदलावों के आधार पर पेटेंट नहीं दिया जाता।
    • बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित व्यापार पहलू (TRIPS) और दोहा घोषणा-पत्र के तहत छूट: भारत की पेटेंट प्रणाली TRIPS के मानकों के अनुरूप है। साथ ही, लोक-स्वास्थ्य हितों को ध्यान में रखकर दोहा घोषणा-पत्र के तहत अनिवार्य लाइसेंसिंग की व्यवस्था का भी उपयोग करता है। इससे अनावश्यक सेकेंडरी पेटेंट को रोकने तथा किफायती जेनेरिक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
      • दोहा घोषणा-पत्र ने यह  स्पष्ट किया कि WTO के सदस्य देशों को यह अधिकार है कि वे अनिवार्य लाइसेंसिंग (CL) का उपयोग करके किफायती दवाइयों की उपलब्धता बढ़ा सकें। 
      • इसमें सरकारें ज़रूरत पड़ने पर पेटेंट धारक की अनुमति बिना किसी दवा की जेनेरिक (किफायती) प्रतिकृति के उत्पादन या आयात करने की अनुमति दे सकती हैं।
Watch Video News Today
Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features