भारतीय पंथनिरपेक्षता बहुलवाद की रक्षा है, धर्मों का दमन नहीं | Current Affairs | Vision IAS
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    भारतीय पंथनिरपेक्षता बहुलवाद की रक्षा है, धर्मों का दमन नहीं

    Posted 08 Dec 2025

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    Article Summary

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    भारतीय धर्मनिरपेक्षता धर्मों के लिए समान सम्मान, राजनीति से धर्म को अलग करना, सार्वजनिक धार्मिक अभिव्यक्ति, तथा विविधता और सद्भाव बनाए रखने के लिए सामाजिक सुधारों के लिए राज्य का हस्तक्षेप सुनिश्चित करती है।

    पंथनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य धर्म से अलग है, ताकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा हो सके और किसी भी आस्था का पक्ष लिए बिना समान नागरिकता सुनिश्चित की जा सके।

    भारतीय पंथनिरपेक्षता की विशेषताएं 

    • सभी धर्मों का समान आदर: भारत किसी भी धर्म का पक्ष नहीं लेता है, जैसा कि ईरान और पाकिस्तान विशिष्ट संप्रदायों को विशेषाधिकार प्रदान करते हैं।
    • सिद्धांतगत दूरी: भारत आवश्यकता अनुभव होने पर धर्म से जुड़ाव रखता है, न कि चीन की भांति धार्मिक प्रथाओं का दमन करता है।
    • धर्म की स्वतंत्रता: भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक पंथनिरपेक्ष राज्य घोषित करती है। इसके अलावा, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार लोग अपने धर्म को अबाध रूप से मान सकते हैं, आचरण कर सकते हैं और प्रचार कर सकते है।
    • धर्म गुरुओं का राजनीति से अलगाव: भारत की मान्यता है कि पुरोहित वर्ग सरकार नहीं चला सकते हैं। इसके विपरीत, ईरान जैसे देशों में धर्म गुरु महत्वपूर्ण फैसलों को प्रभावित करते हैं।
    • सुधारवादी दृष्टिकोण: राज्य धर्मों के भीतर कमजोर वर्गों की रक्षा के लिए अस्पृश्यता या भेदभाव जैसी हानिकारक प्रथाओं को विनियमित कर सकता है।

    भारतीय और पश्चिमी पंथनिरपेक्षता के बीच अंतर

    आधार

    भारतीय पंथनिरपेक्षता

    पश्चिमी पंथनिरपेक्षता

    अलगाव की प्रकृति

    सिद्धांतगत दूरी बनाए रखती है— न्याय और सुधार के लिए आवश्यकता अनुभव होने पर राज्य धर्म के साथ जुड़ाव रख सकता है।

    सख्त अलगाव बनाए रखती है— धर्म को राज्य के मामलों से पूरी तरह से बाहर रखा जाता है।

    दृष्टिकोण

    पंथनिरपेक्षता की सकारात्मक अवधारणा: अर्थात सभी धर्मों के लिए समान आदर (सर्वधर्म समभाव)।

    पंथनिरपेक्षता की नकारात्मक अवधारणा: अर्थात धर्म और राज्य के बीच सख्त अलगाव।

    धर्म की सार्वजनिक भूमिका

    धर्म सार्वजनिक स्थानों में मौजूद और अभिव्यक्त हो सकता है।

    धर्म मुख्यतः निजी दायरे तक सीमित रहता है।

    राज्य का हस्तक्षेप

    राज्य अधिकारों का उल्लंघन करने वाली धार्मिक प्रथाओं को विनियमित कर सकता है/ सुधार सकता है।

    राज्य आम तौर पर धर्म में हस्तक्षेप करने से बचता है।

    उद्देश्य

    समानता को बढ़ावा देना, विविधता की रक्षा करना, और सामाजिक सद्भाव सुनिश्चित करना।

    राजनीति पर धार्मिक प्रभाव को रोकना और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना।

    उदाहरण

    भारत

    फ्रांस (लैसिते/ Laïcité), संयुक्त राज्य अमेरिका आदि।

    • Tags :
    • Secularism
    • GS2
    • Polity
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