6 अमेरिकी उपग्रहों के साथ, आदित्य-L1 ने यह प्रकटीकरण किया है कि मई 2024 के प्रबल सौर तूफान ने, चुंबकीय पुनर्संयोजन घटना (Magnetic Reconnection Event) के कारण असामान्य रूप से व्यवहार किया था। इस तूफान को गैनन तूफान कहा जाता है।
अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- चुंबकीय पुनर्संयोजन (Magnetic Reconnection): वर्ष 2024 के तूफान के दौरान, कोरोनल मास इजेक्शंस (CMEs) अंतरिक्ष में आपस में टकराए और एक-दूसरे पर इतना प्रबल दबाव उत्पन्न किया कि उनमें से एक के भीतर की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं खंडित हो गई और नए तरीकों से फिर से जुड़ गई। इस प्रक्रिया को चुंबकीय पुनर्संयोजन कहा जाता है।
- प्रभाव: चुंबकीय क्षेत्र के अचानक उलट जाने से तूफान अधिक प्रबल हो गया। इससे ऊर्जा में वृद्धि के कारण कणों की गति तीव्र हो गई, जिसने चुंबकीय पुनर्संयोजन घटना की पुष्टि की।
आदित्य L-1 के बारे में
- आदित्य-L1 सूर्य का अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष में स्थापित वेधशाला श्रेणी का पहला भारतीय सौर मिशन है।
- इसे सितंबर 2023 में PSLV-C57 से प्रक्षेपित किया गया था।
- इसे पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर सूर्य एवं पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (L1) के चारों ओर ‘प्रभामंडल कक्षा (Halo Orbit)’ में स्थापित किया गया है।
- L1 बिंदु बिना किसी बाधा/ ग्रहण के सूर्य का सतत अवलोकन प्रदान करता है।
- इसमें 7 विशिष्ट पेलोड हैं-
- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ;
- सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर;
- प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य आदि।
सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शंस (CMEs) के बारे में
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