कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/AI) के उपयोग से जुड़े सबसे विवादास्पद कानूनी और नैतिक मुद्दों में कॉपीराइट का मामला अधिक मुखर होकर उभरा है।
- AI जनरेटिव मॉडल्स किसी कृति के रचनाकार के कॉपीराइट अधिकार की पारंपरिक अवधारणाओं को चुनौती देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये मॉडल्स रचनाकार और नए उपकरणों के बीच की सीमाओं को धुंधला कर रहे हैं।
जनरेटिव AI और कॉपीराइट से जुड़े मुद्दे
- इनपुट पक्ष – AI मॉडल्स के प्रशिक्षण में कॉपीराइट वाले कंटेंट का उपयोग: मुख्य चिंता यह है कि AI मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए कॉपीराइट वाले कंटेंट का उपयोग अक्सर कंटेंट के कॉपीराइट-धारक की अनुमति के बिना किया जाता है।
- आउटपुट पक्ष – AI से बनाए गए कंटेंट पर कॉपीराइट का दावा करना: इसके संबंध में निम्नलिखित चिन्ताएँ सामने आई हैं:
- AI सृजित कार्यों के कॉपीराइट-योग्य होने की पात्रता का निर्धारण,
- AI से बनाए गए कंटेंट के रचनाकार का निर्धारण,
- AI-सृजित कार्यों पर नैतिक अधिकारों को लागू करने की पात्रता।
विनियामक से संबंधित समस्याएं
- AI मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए कानून में किसी अपवाद का अभाव: भारतीय कॉपीराइट कानून में वर्तमान में टेक्स्ट और डेटा माइनिंग या AI के प्रशिक्षण के लिए किसी विशेष अपवाद का उल्लेख नहीं है। अर्थात इनके लिए किसी विशेष प्रावधान का उल्लेख नहीं है।
- न्यायसंगत व्यवहार (फेयर डीलिंग) की व्याख्या में अस्पष्टता: कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 52(1)(a) में किसी रचना पर शोध, समीक्षा और रिपोर्टिंग के लिए ‘न्यायसंगत व्यवहार (फेयर डीलिंग)’ अपवाद का उल्लेख है, हालाँकि इसके दायरे में AI मॉडल्स का प्रशिक्षण शामिल है या नहीं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इससे कानूनी अनिश्चितता बढ़ती है।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें
- हाइब्रिड विनियामक मॉडल अपनाना: वर्किंग पेपर में एक मिश्रित मॉडल अपनाने का सुझाव दिया गया है। इसके अनुसार विधिसंगत रूप से उपलब्ध कॉपीराइट वाले सभी कंटेंट का AI प्रशिक्षण में “उपयोग का अधिकार (Matter of right)” प्रदान किया जाए। इसके बदले में कॉपीराइट धारकों को उचित मुआवजा (पारिश्रमिक) मिलनी चाहिए।
- कॉपीराइट धारकों के लिए वैधानिक पारिश्रमिक का अधिकार: कॉपीराइट धारकों को रॉयल्टी प्राप्त करने का वैधानिक अधिकार प्रदान किया जाए।
अन्य देशों द्वारा अपनाए गए मॉडल्स
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