वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब की रिपोर्ट के तीसरे संस्करण में वैश्विक और भारतीय स्तर पर धन-आय के अत्यधिक संकेंद्रण, जलवायु और संरचनात्मक असमानताओं के विस्तार पर प्रकाश डाला गया है और असमानताओं को कम करने के लिए प्रगतिशील कराधान, मजबूत सार्वजनिक निवेश, लैंगिक समानता के उपाय, सार्वजनिक स्वामित्व पर केंद्रित जलवायु नीतियां और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सुधारों की सिफारिश की गई है।
यह रिपोर्ट ‘विश्व असमानता रिपोर्ट’ का तीसरा संस्करण है। इससे पहले यह रिपोर्ट 2018 और 2022 में जारी की गई थी। यह रिपोर्ट वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब तैयार करता है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
वैश्विक संपत्ति (Wealth) का संकेंद्रण: विश्व के सबसे धनी 1% लोगों के पास विश्व की 37% संपत्ति है। वहीं, विश्व के सबसे धनी 10% लोगों के पास विश्व की 75% संपत्ति है।
भारत के सबसे धनी 1% लोगों के पास देश की लगभग 40% संपत्ति है। वहीं, भारत के सबसे धनी10% लोगों के पास देश की लगभग 65% संपत्ति है।
वैश्विक आय (Income) का संकेंद्रण: विश्व के सबसे धनी 10% लोग विश्व की 53% आय अर्जित करते हैं।
भारत के सबसे धनी 1% लोग देश की लगभग 23% आय अर्जित करते हैं। वहीं भारत के सबसे धनी 10% लोग राष्ट्रीय आय का 58% अर्जित करते हैं।
संपत्ति संवृद्धि: 1990 के दशक से विश्व में अरबपतियों की संपत्ति 8% वार्षिक की दर से बढ़ी है। यह विश्व की सबसे कम आय वाली आधी आबादी की आय-वृद्धि की तुलना में लगभग दोगुनीदर है।
जलवायु परिवर्तन में योगदान के स्तर पर असमानता: विश्व के सबसे धनी 10% लोग विश्व में 77% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं, सबसे निर्धन 50% लोग केवल 3% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
संरचनात्मक असंतुलन: प्रत्येक वर्ष ग्लोबल साउथ के देशों से ग्लोबल नॉर्थ के देशों में वैश्विक GDP के 1% से अधिक राशि स्थानांतरित होती है। यह राशि विकास सहायता के रूप में मिलने वाली राशि से 3 गुनी अधिक है।
ग्लोबल साउथ के देश कर्ज के ब्याज और मूलधन के भुगतान,लाभ के भुगतान और वित्तीय निवेश के रूप में राशि भेजते हैं।
रिपोर्ट में किए गए नीतिगत सुझाव
प्रगतिशील कर प्रणाली और कर-न्याय लागू करना: अरबपतियों पर वैश्विक न्यूनतम कर (Global minimum tax) लागू किया जाए। टैक्स चोरी रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जाए। इससे जन-सेवाओं के लिए संसाधन उपलब्ध हो सकेगा और असमानता कम होगी।
लोक सेवाओं में निवेश बढ़ाना: उच्च गुणवत्ता वाली निःशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य-देखभाल सेवाएँ, पोषण और बाल-देखभाल सेवाओं में निवेश बढ़ाया जाए। इससे प्रारंभ में ही असमानताओं को कम किया जा सकेगा और अवसर सृजित होंगे।
धन पुनर्वितरण कार्यक्रम: नकद अंतरण (कैश ट्रांसफर), पेंशन, और बेरोजगारी भत्तों के माध्यम से संसाधनों को सबसे निर्धन आबादी तक पहुंचाया जाए।
लैंगिक समानता सुनिश्चित करने हेतु उपाय करना: वहनीय बाल-देखभाल सेवाएं, मातृत्व-पितृत्व अवकाश (Parental leave), महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन और भेदभाव-रोधी कानूनों को लागू किया जाए। इससे महिलाओं पर पड़ने वाले अवैतनिक देखभाल कार्य (Unpaid care work) के बोझ को कम किया जा सकेगा।
स्वामित्व या जिम्मेदारी आधारित जलवायु नीति: सबसे अधिक धनी लोग सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु दी जाने वाली सब्सिडी के साथ अधिक उत्सर्जन पर प्रगतिशील कर लगाया जाए।
निजी क्षेत्र की बजाय सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा हरित (ग्रीन) निवेश को प्राथमिकता दी जाए ताकि नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य प्राप्त हो सके और संपत्ति का संकेंद्रण न बढ़े।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय-प्रणाली में सुधार करना: एक वैश्विक मुद्रा और केंद्रीकृत क्रेडिट प्रणाली लागू की जाए। साथ ही, आधिक्य कर (सरप्लस टैक्स) का उपयोग विकासशील देशों में सामाजिक क्षेत्र में निवेश में किया जाए।