केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI)” विधेयक को मंजूरी दी | Current Affairs | Vision IAS
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    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI)” विधेयक को मंजूरी दी

    Posted 13 Dec 2025

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    Article Summary

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    शांति विधेयक 2025 परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति देता है, जिससे निवेश, नवाचार, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के बीच एक एकीकृत कानूनी ढांचा स्थापित होता है।

    शांति/SHANTI विधेयक 2025 का उद्देश्य परमाणु विद्युत उत्पादन में विनियमित रूप में निजी क्षेत्र को प्रवेश देना है। 

    SHANTI विधेयक 2025 की प्रमुख विशेषताएं

    • परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी: परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की मूल्य-श्रृंखला (वैल्यू चेन) के सभी चरणों में निजी कंपनियों को प्रवेश देने का प्रस्ताव किया गया है। इससे भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) का विशिष्ट एकाधिकार समाप्त होगा।
    • एकीकृत कानूनी ढांचा: परमाणु ऊर्जा के विकास से जुड़े वर्तमान कानूनों को एक ही विस्तृत अधिनियम में समाहित किया जाएगा। इससे विनियामकीय स्पष्टता बढ़ेगी और निवेशकों का विश्वास मजबूत होगा। 

    भारत में परमाणु ऊर्जा विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी का महत्त्व

    • संसाधन जुटाने में सहायता मिलेगी: निजी क्षेत्र की भागीदारी से पूंजी की उपलब्धता बढ़ेगी तथा देश एवं विदेश से निवेश आकर्षित होगा। इससे वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।
    • प्रौद्योगिकी में नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा मिलेगा: निजी क्षेत्र के प्रवेश से स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs)मॉड्यूलर रिएक्टर डिज़ाइन और आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी आएगी।
    • ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी: निजी क्षेत्र की भागीदारी से परमाणु ऊर्जा उत्पादन, संयंत्र विनिर्माण और आपूर्ति-शृंखला को बढ़ावा मिलेगा तथा जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होगी।  

    निजी क्षेत्र की भागीदारी से जुड़ी चुनौतियां

    • रिएक्टर की सुरक्षा एवं दुर्घटना के दायित्व से संबंधित मुद्दे: ‘परमाणुवीय नुकसान के लिए सिविल दायित्व अधिनियम  (CLNDA), 2010’ के तहत परमाणु ऊर्जा रिएक्टर की दुर्घटना की क्षतिपूर्ति के संबंध में दायित्व पर सख्त प्रावधान हैं। इससे परमाणु ऊर्जा उपकरणों के निजी क्षेत्र के आपूर्तिकर्ता और निवेशक हतोत्साहित हो सकते हैं।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा: परमाणु ऊर्जा उत्पादन में अति-सुरक्षित पदार्थों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है। इसमें निजी क्षेत्र को भागीदार बनाने से पहले कड़े सुरक्षा उपायों तथा आपूर्ति श्रृंखला (ट्रेसेब्लिटी) पर गहन निगरानी की आवश्यकता होगी।
    • दीर्घकालिक परियोजना अवधि: परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के डिजाइन से लेकर पूर्ण होने में सामान्यतः 7 से 10 वर्ष लगते हैं। व्यवहार्यता अंतराल निधियन (Viability Gap Funding) या जोखिम-साझेदारी तंत्र के न होने से निवेशकों की रुचि कम हो सकती है।  
    • Tags :
    • Nuclear Energy
    • SHANTI BILL
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