दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) (संशोधन) विधेयक, 2025 को इसलिए प्रस्तुत किया गया है, क्योंकि IBC के कार्यान्वयन में कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- इन चुनौतियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- दिवाला स्थिति स्वीकार करने के चरण में अत्यधिक देरी;
- दिवाला समाधान प्रक्रिया में देरी से समाधान योजनाओं को अंतिम रूप देने में समस्या उत्पन्न होना।,
- परिसंपत्तियों के मूल्य में गिरावट; तथा
- सीमा-पार दिवाला जैसे आधुनिक जटिल कॉर्पोरेट फ्रेमवर्क्स के प्रबंधन के लिए स्पष्ट तंत्र का अभाव।
संशोधन विधेयक की मुख्य विशेषताएं
- लेनदार यानी ऋणदाता द्वारा शुरू की गई दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIIRP) को प्रस्तुत किया गया है। इसमें 'आउट-ऑफ-कोर्ट' (अदालत के बाहर) समाधान शुरू करने वाले तंत्र का प्रावधान किया गया है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से वास्तविक व्यावसायिक विफलताओं के मामलों के समाधान पर केंद्रित होगी।
- निम्नलिखित दो महत्वपूर्ण फ्रेमवर्क्स प्रस्तुत किए गए हैं:
- ग्रुप इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क: यह जटिल कॉर्पोरेट समूह संरचनाओं से जुड़े दिवाला मामलों के समाधान पर केंद्रित है।
- क्रॉस-बॉर्डर इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क: यह उन दिवाला मामलों के समाधान पर लक्षित है, जहां कर्जदार या संपत्तियां विभिन्न देशों/ अधिकार-क्षेत्रों में स्थित हैं।
समिति की प्रमुख सिफारिशें
- क्लीन स्लेट सिद्धांत: 'क्लीन स्लेट' (सभी पिछले दावों की समाप्ति) को संहिताबद्ध करना चाहिए, ताकि सफल समाधान आवेदकों को पिछले दावों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जा सके।
- हितों के टकराव से बचाव: वह समाधान पेशेवर (Resolution Professional: RP) जिसने कॉरपोरेट देनदार यानी उधारकर्ता के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया संचालित की है, यदि प्रक्रिया विफल हो जाती है, तो उसे परिसमापक (Liquidator) के रूप में नियुक्त करने के लिए अयोग्य माना जाना चाहिए।
- समय-सीमा: राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (NCLAT) के लिए 3 महीने की एक विशिष्ट वैधानिक समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।
- कॉरपोरेट देनदार (Debtor): "कॉरपोरेट देनदार" पदावली को स्पष्ट किया जाना चाहिए, ताकि इसमें भारत के बाहर सीमित देयता के साथ निगमित कोई भी व्यक्ति शामिल हो सके। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सीमा-पार दिवाला समाधान संबंधी प्रावधान उन विदेशी कंपनियों पर भी कानूनी रूप से लागू होंगे, जिनकी संपत्ति या लेनदार भारत में स्थित हैं या परिचालन भारत से जुड़ा है।