भारत ने पिछले 10 वर्षों में 2,362 मेगावाट की बायोमास ऊर्जा और 228 मेगावाट की अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन क्षमता जोड़ी है | Current Affairs | Vision IAS
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भारत ने पिछले दशक में 2,590 मेगावाट बायोमास और अपशिष्ट-से-ऊर्जा क्षमता को जोड़ा है, जिससे ग्रामीण आय, आधुनिक जैव ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और एथेनॉल मिश्रण और जैव ईंधन पहलों जैसे महत्वाकांक्षी नीतिगत लक्ष्यों को समर्थन मिला है।

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उपर्युक्त के अतिरिक्त, देश के विभिन्न भागों में 2.88 लाख बायोगैस संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

  • गौरतलब है कि केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा कार्यक्रम (NBP)-चरण-I के तहत देश में जैव-ऊर्जा परियोजनाओं को सहायता प्रदान करता है। इस कार्यक्रम को 2022 में अधिसूचित किया गया था।  

राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा कार्यक्रम (NBP) के बारे में

  • कार्यक्रम-अवधि: चरण-I- 2021-22 से 2025-26 तक। 
  • उद्देश्य: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध अधिशेष बायोमास का उपयोग करके बिजली उत्पादन करना तथा ग्रामीण परिवारों को आय का अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराना।
  • कार्यक्रम के अंतर्गत उप-योजनाएं: 
    • अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत शहरी, औद्योगिक एवं कृषि अपशिष्ट/अवशेष से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है।
    • बायोमास कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत ब्रिकेट व पेलेट निर्माण को समर्थन दिया जाता है। साथ ही, उद्योगों में बायोमास (गैर-खोई/बगास) से बिजली और ऊष्मा का साथ-साथ उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है।
    • बायोगैस कार्यक्रम: बायोगैस मुख्यतः मीथेन (CH₄) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) से बनी होती है। इसमें नाइट्रोजन (N2), हाइड्रोजन (H₂), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), ऑक्सीजन (O2) की अल्प मात्रा भी होती हैं। 

भारत में जैव-ऊर्जा (Bioenergy) और इसकी वर्तमान स्थिति:

  • जैव-ऊर्जा वास्तव में पादपों से प्राप्त जैविक-पदार्थ यानी बायोमास से उत्पादित ऊर्जा का स्रोत है। बायोमास में काष्ठ, गोबर या चारकोल शामिल हैं।
  • आधुनिक जैव-ऊर्जा में प्रसंस्कृत बायोमास और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों द्वारा स्वच्छ एवं अधिक दक्ष (एफिशिएंट) ऊर्जा उत्पादन शामिल है। इनमें तरल जैव-ईंधन (बायो-फ्यूल), बायोगैस आदि शामिल हैं।
  • भारत में जैव-ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता: नवंबर 2025 की स्थिति के अनुसार 11.6 गीगावाट
  • वर्तमान में आधुनिक जैव-ऊर्जा भारत में अंतिम उपभोक्ताओं (घर, उद्योग, परिवहन) द्वारा कुल ऊर्जा खपत में लगभग 13% योगदान देती है। इस हिस्सेदारी के 2023 से 2030 के बीच लगभग 45% तक बढ़ने का अनुमान है।  

जैव-ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु अन्य पहलें:

  • राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति, 2018 (वर्ष 2022 में संशोधित): इसके तहत 2030 तक डीजल में 5% बायोडीजल के मिश्रण तथा 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण (E20) जैसे लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
  • प्रधानमंत्री जी-वन (PM JI-VAN) योजना: इसके तहत उन्नत जैव-ईंधन परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
  • सतत/SATAT (सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टूवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) पहल।
  • गोबर-धन/GOBAR-Dhan (गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज) योजना
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