MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर | Current Affairs | Vision IAS
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भारतीय नौसेना ने गोवा में INS हंसा में MH-60R हेलीकॉप्टर की दूसरी स्क्वाड्रन को कमीशन किया।

MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर के बारे में

  • परिचय: MH-60R सीहॉक एक बहु-भूमिका वाला समुद्री हेलीकॉप्टर है। इसे जहाजों या तट आधारित केंद्रों से नौसैन्य संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • विकासकर्ता: लॉकहीड मार्टिन (संयुक्त राज्य अमेरिका)।
  • क्षमताएं: इसे पनडुब्बी-रोधी युद्ध (ASW), सतह-रोधी युद्ध (ASuW), खोज एवं बचाव (SAR), चिकित्सा हेतु बचाव  (MEDEVAC) और रसद आपूर्ति, कमान व नियंत्रण और ऊर्ध्वाधर पुनर्पूर्ति (VERTREP) के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • INS हंसा: 
    • यह गोवा के डाबोलिम में स्थित भारतीय नौसेना का प्रमुख एयर स्टेशन है। 
    • यह एयर स्टेशन एक संयुक्त सैन्य-नागरिक सुविधा के रूप में संचालित होता है। यह गोवा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के साथ अवसंरचना को साझा करता है।

भारतीय प्रधान मंत्री ने अफ्रीका के साथ भारत के जुड़ाव को मजबूत करने और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए इथियोपिया की यात्रा की।

यात्रा के मुख्य परिणामों पर एक नजर

  • सर्वोच्च सम्मान: प्रधान मंत्री को इथियोपिया के सर्वोच्च सम्मान 'ग्रेट ऑनर निशान ऑफ इथियोपिया' से सम्मानित किया गया।
  • साझेदारी: दोनों देशों ने अपने संबंधों को 'रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक बढ़ाया।
  • समझौते: समझौता ज्ञापनों और समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें इथियोपिया के विदेश मंत्रालय में एक डेटा सेंटर की स्थापना; G20 कॉमन फ्रेमवर्क के तहत ऋण पुनर्गठन के लिए समझौता आदि शामिल हैं। 
  • आर्थिक: वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 550.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। भारत का निर्यात 476.81 मिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 73.38 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध को काफी हद तक निर्यात-उन्मुख बनाता है।

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने 'कोल 2025' रिपोर्ट जारी की है। IEA की इस रिपोर्ट और हालिया बाजार विश्लेषण के अनुसार, आने वाले दशक में भारत की कोयले की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि होने का अनुमान है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • मांग अनुमान: अगले चार वर्षों में भारत द्वारा कोयले की मांग के 3% वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है।
  • वैश्विक कोयला खपत: भारत वर्तमान में वैश्विक कोयला खपत को बढ़ाने वाला प्रमुख देश बना हुआ है। इस कारण, विश्व के अन्य हिस्सों में कोयले के उपयोग में जो स्थायी कमी आ रही है, भारत की बढ़ती मांग उसे असंतुलित कर रही है।
  • विद्युत क्षेत्रक पर अधिक ध्यान: विद्युत की बढ़ती मांग के कारण कोयला 'बेस-लोड' स्रोत के रूप में आवश्यक हो गया है, भले ही नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार रिकॉर्ड स्तर पर हो रहा है।
    • 2025 में भारत के विद्युत उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 70% से अधिक है। इसके घटकर 2030 तक लगभग 60% होने का अनुमान है।
  • औद्योगिक उपयोग: भारी उद्योगों, विशेष रूप से इस्पात और सीमेंट उत्पादन में कोयले का महत्वपूर्ण उपयोग जारी है।

अंडमान और निकोबार प्रशासन ने "ग्रेट निकोबार द्वीप विकास क्षेत्र" की अधिसूचना जारी की।

अधिसूचना के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • योजना: यह ग्रेट निकोबार समग्र विकास परियोजना का हिस्सा है। इस परियोजना के चार प्रमुख घटक हैं: एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICCT); एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा; एक विद्युत संयंत्र; और एक टाउनशिप।
  • रणनीतिक महत्त्व: प्रमुख समुद्री मार्गों के निकट ग्रेट निकोबार की अवस्थिति भारत की समुद्री और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उपस्थिति को मजबूत करती है।
  • सामाजिक चिंताएं: जनजातीय अधिकारों, भूमि उपयोग और पारिस्थितिक संवेदनशीलता से संबंधित मुद्दे प्रासंगिक बने हुए हैं।

एक नए शोध में “कमजोर अंतर्क्रियाशील विशाल कणों (WIMP)” के माध्यम से डार्क मैटर के रहस्य को सुलझाने का दावा किया गया है।

WIMP (कमजोर अंतर्क्रियाशील विशाल कण) के बारे में

  • प्रकृति: WIMPs काल्पनिक व विद्युत रूप से उदासीन कण है। इन्हें डार्क मैटर के प्रमुख संभावित उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
    • ये न तो प्रकाश को अवशोषित करते हैं और न ही उत्सर्जित करते हैं। साथ ही, अन्य कणों के साथ इनकी अंतर्क्रिया बहुत कमजोर होती है। हालांकि, जब ये टकराते हैं, तो एक-दूसरे को नष्ट कर सकते हैं और गामा किरणें उत्पन्न कर सकते हैं।
  • अंतःक्रिया: ये मुख्य रूप से गुरुत्वाकर्षण और संभवतः कमजोर नाभिकीय बल के माध्यम से अंतर्क्रिया करते हैं।

डार्क मैटर

  • पदार्थ का अदृश्य रूप: यह प्रकाश उत्सर्जित नहीं करता है, लेकिन अपने गुरुत्वाकर्षण प्रभावों के कारण जाना जाता है। इन प्रभावों के माध्यम से यह आकाशगंगाओं को एक साथ बांधे रखता है।
  • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ब्रह्मांड का लगभग 27% हिस्सा डार्क मैटर है।

CSIR-CFTRI (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान), मैसूरु ने एन्नाट्टो के अध्ययन और विकास से संबंधित परियोजनाएं शुरू की।

  • परिचय: एन्नाट्टो एक प्राकृतिक कैरोटीनॉयड (carotenoid) है। कैरोटीनॉयड पौधों द्वारा संश्लेषित रंगीन यौगिक होते हैं। यह बिक्सा ओरेलाना (Bixa orellana) नामक झाड़ी से प्राप्त होता है।
  • उपयोग: इसका उपयोग खाद्य रंग, रासायनिक स्याही, दवाओं की कोटिंग, डाइंग (रंगाई), बालों के तेल, और पॉलिश आदि बनाने में किया जाता है।
  • खाद्य उद्योग में महत्त्व: इसका मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से डेयरी उत्पादों (जैसे मक्खन और पनीर) को पीला व लाल रंग देने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • प्राकृतिक पर्यावास और खेती: एन्नाट्टो मूल रूप से उष्णकटिबंधीय अमेरिका (मध्य और दक्षिण अमेरिका) का पादप है। यह मध्यम सूखा सहिष्णु है और इसे उगाने के लिए बहुत कम जल की आवश्यकता होती है।
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CRASH (कोलिज़न रियलाइजेशन एंड सिग्निफिकेंट हार्म) क्लॉक मेट्रिक ने चेतावनी दी है कि पृथ्वी की कक्षा में मौजूद कृत्रिम उपग्रहों का तेजी से परस्पर टकराने का खतरा बढ़ रहा है। इसे 'केसलर सिंड्रोम' के रूप में जाना जाता है।

केसलर सिंड्रोम के बारे में:

  • सिद्धांत: डॉन केसलर ने 1978 में यह भविष्यवाणी की थी कि अंतरिक्ष की कक्षा में कृत्रिम उपग्रहों के बीच होने वाली एक भी टक्कर मलबे की टक्करों की एक श्रृंखला अभिक्रिया (chain reaction) शुरू कर सकती है। ऐसी स्थिति में, एक नष्ट हुए उपग्रह के टुकड़े अन्य उपग्रहों से टकरा सकते हैं, जिससे और अधिक मलबा उत्पन्न होगा।
  • परिणाम: यह अभिक्रिया कक्षीय क्षेत्रों (orbital regions) को खतरनाक या अनुपयोगी बना सकती है।

भारत-संयुक्त अरब अमीरात (UAE) संयुक्त सैन्य अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन-II अबू धाबी (UAE) में शुरू हुआ।

अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन II के बारे में

  • उद्देश्य: भारतीय थल सेना और UAE थल सेना के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना तथा रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना।
  • फोकस: संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत उप-पारंपरिक अभियानों पर ध्यान केंद्रित करना, जिससे दोनों देशों की सेनाएं शांति स्थापना, आतंकवाद विरोधी और स्थिरता अभियानों में एक साथ परिचालन कर सकें।

देशभर में MLFF (मल्टी-लेन फ्री फ्लो) टोलिंग प्रणाली और AI आधारित राजमार्ग प्रबंधन का कार्यान्वयन 2026 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

MLFF टोलिंग प्रणाली के बारे में:

  • MLFF प्रणाली वाहनों को बिना किसी बाधा या रुकावट के 80 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति से टोल प्लाजा पार करने की अनुमति देगी।
  • यह प्रणाली वाहनों की पहचान करने और स्वचालित रूप से टोल शुल्क वसूलने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित नंबर प्लेट पहचान, सैटेलाइट ट्रैकिंग और FASTag एकीकरण के संयोजन का उपयोग करेगी।
  • लाभ: टोल राजस्व की चोरी या लीकेज को रोका जा सकेगा; प्रदूषण को कम किया जा सकेगा; ईंधन की बचत होगी; यातायात सुगम होगा; कुल यात्रा समय और लॉजिस्टिक्स (परिवहन) लागत में कमी होगी आदि। 
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