भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ‘जोखिम-आधारित निक्षेप (जमा) बीमा’ की स्वीकृति दी | Current Affairs | Vision IAS
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आरबीआई ने जोखिम-आधारित बीमा प्रीमियम प्रणाली को मंजूरी दी है, जो फ्लैट-रेट प्रणाली की जगह लेगी, सुरक्षित बैंकिंग को प्रोत्साहित करेगी और नैतिक जोखिम को कम करेगी ताकि भारत में जमाकर्ताओं के धन की बेहतर सुरक्षा की जा सके।

In Summary

RBI के केंद्रीय बोर्ड ने जोखिम-आधारित निक्षेप बीमा प्रीमियम फ्रेमवर्क को स्वीकृति दी है।

  • यह फ्रेमवर्क वर्तमान की एक-समान प्रीमियम दर (फ्लैट-रेट) प्रणाली का स्थान लेगा। 
    • फ्लैट-रेट प्रणाली के तहत निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation: DICGC) बैंकों में प्रत्येक 100 रुपये की आकलन योग्य जमा-राशि (एसेसिबल डिपॉजिट्स) का बीमा कवर के लिए बैंकों से 12 पैसे का प्रीमियम लेता है। 
  • निक्षेप बीमा या डिपॉजिट इन्स्योरेन्स का मुख्य उद्देश्य बैंक के विफल होने की स्थिति में जमाकर्ताओं की धनराशि की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 

जोखिम-आधारित निक्षेप बीमा प्रीमियम फ्रेमवर्क क्या है?

  • इस प्रणाली में बैंकों से लिया जाने वाला बीमा प्रीमियम बैंकों के जोखिम स्तर पर निर्भर करता है।
    • सुरक्षित और बेहतर ढंग से प्रबंधित बैंक कम प्रीमियम का भुगतान करेगा, जबकि अधिक जोखिम वाला बैंक अधिक प्रीमियम का भुगतान करेगा।
  • उद्देश्य
    • बैंकों में वित्तीय जोखिमों से निपटने के बेहतर प्रबंधन को प्रोत्साहित करना और मितव्ययी या बुद्धिमता वाली बैंकिंग गतिविधियों से कम प्रीमियम लेकर उन्हें पुरस्कृत करना है।
    • अत्यधिक जोखिम लेने वाले बैंकों से अधिक प्रीमियम राशि लेकर उन्हें उच्च जोखिम लेने से हतोत्साहित किया जाएगा। इस तरह उन्हें नैतिक जोखिम (मोरल हैज़र्ड) उठाने से रोका जा सकेगा। 
      • नैतिक जोखिम से तात्पर्य बैंकों द्वारा अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश में असामान्य जोखिम उठाना है, यह जानते हुए कि इस जोखिम के लिए किसी अन्य को भुगतान करना पड़ेगा। 

भारत में निक्षेप-बीमा फ्रेमवर्क

  • इसका प्रबंधन निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (DICGC) द्वारा किया जाता है।
    • DICGC, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार कार्य करता है।
    • यह RBI की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक संस्था है।
  • यह किसी बैंक में एक जमाकर्ता को अधिकतम 5 लाख रुपये का बीमा कवरेज प्रदान करता है।
  • बीमा प्रीमियम का भुगतान बैंक करते हैं, जमाकर्ता नहीं
  • DICGC बैंकों की सभी प्रकार की जमाओं (बचत, सावधि, चालू, आवर्ती आदि) का बीमा करता है। हालांकि, यह बैंकों में विदेशी सरकारों तथा केंद्र या राज्य सरकारों की जमाराशियों को बीमा कवरेज प्रदान नहीं करता है।
  • निम्नलिखित संस्थाओं को बीमा कवरेज प्राप्त है:
    • भारत में संचालित सभी वाणिज्यिक बैंक (विदेशी बैंकों की शाखाएं सहित), स्थानीय क्षेत्र बैंक (Local area banks) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
    • सभी राज्य, केंद्रीय और प्राथमिक सहकारी बैंक। 
      • हालांकि, प्राथमिक सहकारी समितियां इसके दायरे में शामिल नहीं हैं।  
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