सुप्रीम कोर्ट ने POSH अधिनियम के प्रभावी अनुपालन के लिए निर्देश जारी किए | Current Affairs | Vision IAS
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सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, निषेध और रोकथाम) अधिनियम, 2013 (POSH अधिनियम) के एक समान कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों पर एक नजर

  • सरकार को POSH अधिनियम के अंतर्गत कार्यों को करने के लिए प्रत्येक जिले में एक डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर अधिसूचित करना चाहिए।
  • डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर के कर्तव्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • जिले में संगठनों के अंतर्गत आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) का गठन सुनिश्चित करना।
      • POSH अधिनियम की धारा 4 के अनुसार प्रत्येक नियोक्ता को आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना अनिवार्य है। पीड़िता को अपनी शिकायत आंतरिक शिकायत समिति के पास भेजनी होगी। समिति उसकी जांच शुरू करेगी और उचित कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
    • POSH अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत निर्धारित 'स्थानीय समिति' का गठन सुनिश्चित करना।
      • स्थानीय समिति उन संस्थानों या प्रतिष्ठानों से लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतें स्वीकार करती है, जहां 10 से कम कर्मचारियों के कारण आंतरिक शिकायत समिति का गठन नहीं हुआ है या यदि शिकायत नियोक्ता के खिलाफ की गई है।
    • ग्रामीण या जनजातीय क्षेत्र में प्रत्येक ब्लॉक/ तालुका/ तहसील में और शहरी क्षेत्रों में नगरपालिका में एक नोडल अधिकारी नामित करना।
  • स्थानीय समिति का अधिकार क्षेत्र संबंधित जिले तक होता है।
  • प्रत्येक राज्य को लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के लिए 'शी-बॉक्स' स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।
    • लैंगिक उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स/ SHe-Box) का उद्देश्य प्रत्येक महिला को लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतों को दर्ज कराने की सुविधा हेतु सिंगल विंडो विकल्प प्रदान करना है।

POSH अधिनियम, 2013 के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर

  • लैंगिक उत्पीड़न की परिभाषा: इसमें सभी प्रकार के लैंगिक उत्पीड़न शामिल हैं। जैसे शारीरिक संपर्क, सेक्सुअल फेवर की मांग करना, लैंगिक टिप्पणियां करना, अश्लील साहित्य दिखाना, या लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक आचरण करना।
  • इसका लागू होना: यह सभी कार्यस्थलों पर लागू होता है-
    • जैसे सरकारी और निजी संस्थान, 
    • अस्पताल व गैर-सरकारी संगठन, 
    • नियोजन में रहते हुए कंपनी या प्रतिष्ठान के काम से कर्मचारी द्वारा विजिट किया गया कोई भी स्थान (नियोक्ता द्वारा प्रदान किए गए परिवहन सहित), और यहां तक कि आवासीय स्थान भी।
  • शिकायत समितियां: इसमें आंतरिक शिकायत समिति और स्थानीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है।
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