इसरो ने 29 जनवरी, 2025 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F15 यान से NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च किया।
- यह श्रीहरिकोटा से इसरो का ऐतिहासिक 100वां रॉकेट प्रक्षेपण है।
- प्रक्षेपण के बाद NVS-02 सैटेलाइट को भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit) में स्थापित किया गया।
GSLV-F15 प्रक्षेपण यान के बारे में
- यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है।
- इसका तीसरा चरण CUS-15 क्रायोजेनिक इंजन से युक्त है।
NVS-02 सैटेलाइट के बारे में
- यह NVS सीरीज का दूसरा सैटेलाइट है।
- यह नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन यानी NavIC का हिस्सा है।
NavIC क्या है?
- यह इसरो द्वारा प्रक्षेपित “क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली” है। इसे पहले भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) कहा जाता था।
- NavIC उपग्रह समूह: NavIC प्रणाली 7 उपग्रहों के समूह से बनी है।
- 3 उपग्रह भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में स्थापित किए गए हैं; तथा
- 4 उपग्रह झुकाव वाली भू-तुल्यकालिक कक्षा में स्थापित किए गए हैं।
- NavIC द्वारा प्रदत्त सेवाएं:
- मानक अवस्थिति सेवा (Standard Position Service (SPS): यह नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए है।
- निषिद्ध सेवा (Restricted Service): इन सेवाओं का उपयोग केवल सामरिक या सुरक्षा से संबंधित एजेंसियां कर सकेंगी।
- कवरेज क्षेत्र: भारत और भारतीय सीमा से 1500 किलोमीटर तक का विस्तारित क्षेत्र
- सटीकता: NavIC की मानक अवस्थिति सेवा दूरी के मामले में 20 मीटर जितनी नजदीकी सटीकता और समय के मामले में 40 नैनो सेकंड की सटीकता प्रदान करती है।
- अन्य विशेषता: NavIC की मानक अवस्थिति सेवा के सिग्नल्स अन्य अंतर्राष्ट्रीय नेविगेशन प्रणालियों के साथ इंटर-ऑपरेबल (संगत) हैं। अन्य अंतर्राष्ट्रीय नेविगेशन प्रणालियां निम्नलिखित हैं-
- GPS: संयुक्त राज्य अमेरिका,
- ग्लोनास: रूस,
- गैलीलियो: यूरोपीय संघ और
- बेईदोउ: चीन।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बारे में
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