ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (CCTS) के तहत ऑफसेट तंत्र के लिए 10 क्षेत्रकों की एक सूची को मंजूरी दी है।
- इनमें से 6 क्षेत्रक पहले चरण में शामिल हैं, जिनके लिए 12 पद्धतियां विकसित की गई हैं।
- ये पद्धतियां जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के स्वच्छ विकास तंत्र (CDM) पर आधारित हैं।
- स्वच्छ विकास तंत्र (CDM) के तहत विकासशील देशों में उत्सर्जन-कम करने वाली परियोजनाएं ‘प्रमाणित उत्सर्जन कटौती (CER) क्रेडिट’ अर्जित कर सकती हैं।
- इन क्रेडिट्स की खरीद-बिक्री की जा सकती है। औद्योगिक देश क्योटो प्रोटोकॉल के तहत अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उन्हें खरीद सकते थे।
- ये पद्धतियां अलग-अलग क्षेत्रकों को कवर करती हैं। इनकी सूची नीचे टेबल में दी गई है:

कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (CCTS), 2023 के बारे में
यह योजना ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 में संशोधनों के माध्यम से शुरू की गई है। इसके तहत भारतीय कार्बन बाज़ार की स्थापना की गई है।
- अनुपालन तंत्र: यह अनिवार्य कार्यक्रम है। इसमें सरकार जिन संस्थाओं के लिए यह योजना बाध्यकारी है (obligated entities) उन संस्थाओं हेतु ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता का लक्ष्य तय करेगी।
- प्रारंभ में इसमें 9 क्षेत्रक शामिल हैं। जैसे- उर्वरक, लोहा और इस्पात, लुगदी एवं कागज, पेट्रोकेमिकल्स, पेट्रोलियम रिफाइनरी आदि।
- ऑफसेट तंत्र: जिन संस्थाओं के लिए यह योजना बाध्यकारी नहीं है (Non-obligated entities) उन संस्थाओं के लिए यह स्वैच्छिक परियोजना-आधारित तंत्र है। ये वे संस्थाएं हैं, जो अनुपालन तंत्र में शामिल नहीं हैं।
- ऐसी संस्थाएं अपनी परियोजनाओं का पंजीकरण करा सकती हैं और BEE द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने पर कार्बन क्रेडिट प्रमाण-पत्र (CCC) अर्जित कर सकती हैं।