केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों को सेवा वितरण के लिए आधार सत्यापन का उपयोग करने की अनुमति दी | Current Affairs | Vision IAS
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केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने "सुशासन के लिए आधार सत्यापन (सामाजिक कल्याण, नवाचार व ज्ञान) संशोधन नियम, 2025" अधिसूचित किए हैं। यह अधिसूचना 2020 के नियमों में बदलाव के लिए जारी की गई है।  

  • ये नियम आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्षित परिदान) अधिनियम, 2016 के तहत अधिसूचित किए गए हैं।  

वर्ष 2020 के नियमों में किए गए नए संशोधन

  • "आसान जीवन" (Ease of Living) के लिए आधार सत्यापन का विस्तार: इस संशोधन से सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को जनहित में आधार सत्यापन के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने की अनुमति मिल गई है। 
    • इस संशोधन के माध्यम से ई-कॉमर्स, यात्रा, पर्यटन, आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रकों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को कवर किया गया है।
  • आधार सत्यापन के अनुरोधों की मंजूरी प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। 
    • आधार सत्यापन का उपयोग करने के इच्छुक संस्थानों को एक अलग पोर्टल के जरिए संबंधित मंत्रालय या विभाग के पास आवेदन करना होगा।
    • भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) इन आवेदनों की समीक्षा करेगा तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) उसकी सिफारिशों के आधार पर मंजूरी देगा। 
    • MeitY की पुष्टि के बाद, संबंधित मंत्रालय या विभाग संस्था को अनुमति देने संबंधी अधिसूचना जारी करेगा। 

नए संशोधनों का महत्त्व:

  • गवर्नेंस में सुधार होगा और नवाचार को बढ़वा मिलेगा:
    • आधार सत्यापन का उपयोग करने से इनोवेटिव डिजिटल समाधान के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
    • सरकारी और निजी संस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इससे प्रशासनिक कार्यों में सुधार होगा।
  • विश्वसनीय लेन-देन को बढ़ावा: आधार सत्यापन के उपयोग से सेवा प्रदाता और सेवा प्राप्तकर्ता के बीच सुरक्षित एवं विश्वसनीय लेन-देन सुनिश्चित होंगे।
  • प्रभावी सेवा वितरण को बढ़ावा: आधार-नंबर आधारित सेवाओं के वितरण की प्रक्रियाओं को तेज और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा। 

आधार (Aadhaar) नंबर के बारे में:

  • यह 12-अंकों की विशिष्ट संख्या है, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) जारी करता है।
    • UIDAI एक सांविधिक प्राधिकरण है। इसे आधार अधिनियम, 2016 के तहत स्थापित किया गया है।
  • आधार नंबर में जनसांख्यिकीय डेटा (नाम, लिंग, जन्मतिथि व पता) और बायोमेट्रिक डेटा (फिंगरप्रिंट, आइरिस स्कैन और चेहरे की फोटो) शामिल होते हैं।
  • आधार अधिनियम, 2016 की धारा 7: सरकार केंद्र या राज्यों की संचित निधि से वित्त पोषित योजना का लाभ या सब्सिडी प्राप्त करने हेतु लाभार्थियों के लिए आधार नंबर को अनिवार्य बना सकती है। 
  • आधार मेटा डेटा: सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, आधार डेटा को 6 महीने से अधिक समय तक संग्रहीत नहीं किया जा सकता।
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