श्रमिकों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा मॉडल का मसौदा तैयार करने के लिए तीन समितियां गठित की गईं | Current Affairs | Vision IAS
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ये समितियां केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और राज्य सरकारों द्वारा गठित की गई हैं। ये गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स सहित असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा मॉडल तैयार करेंगी। 

  • प्रत्येक समिति में पांच राज्य शामिल होंगे।
  • इसके अलावा, मंत्रालय ने गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए एक समर्पित सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण योजना विकसित करने का प्रस्ताव दिया है।

सामाजिक सुरक्षा और इसके लिए व्यापक योजना की आवश्यकता क्यों है?

  • परिभाषा: सामाजिक सुरक्षा उन उपायों को प्रस्तुत करती है, जो विशेष रूप से बुढ़ापे, बेरोजगारी, बीमारी, दिव्यांगता और कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं की स्थिति में स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता एवं आय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं।
  • इसकी आवश्यकता क्यों हैं?
    • कुल कार्यबल का लगभग 94% हिस्सा असंगठित क्षेत्रक में कार्यरत है।
      • इस क्षेत्रक में काम करने वाले श्रमिकों को अक्सर सामाजिक सुरक्षा कानूनों के तहत संरक्षण नहीं मिलता है।
    • बदलती पारिवारिक संरचना: पहले भारत की संयुक्त परिवार व्यवस्था सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती थी, लेकिन अब यह व्यवस्था कमजोर हो रही है।
    • अन्य: बेरोजगारी में वृद्धि और ऑटोमेशन के प्रभाव आदि के कारण सामाजिक सुरक्षा की जरूरत बढ़ रही है।

भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इसमें 9 केंद्रीय श्रम कानून शामिल हैं। जैसे- कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952, रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) अधिनियम, 1959, मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 आदि।
    • यह केंद्र सरकार द्वारा एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का प्रावधान करती है।
  • जीवन और दिव्यांगता कवरेज: उदाहरण के लिए- प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)।
  • वृद्धावस्था लाभ/पेंशन कवरेज: उदाहरण के लिए- व्यापारियों और स्वरोजगार वाले व्यक्तियों के लिए प्रधान मंत्री श्रम योगी मानधन (PM-SYM) योजना और राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS)।
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