केंद्र सरकार ने प्लेटफॉर्म वर्कर्स से औपचारिक मान्यता के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करने का आग्रह किया | Current Affairs | Vision IAS
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केंद्रीय बजट 2025-26 में निम्नलिखित घोषणा की गई है-

  • ई-श्रम पोर्टल पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स का पंजीकरण, 
  • पहचान-पत्र जारी करना, और 
  • आयुष्मान भारत-प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के अंतर्गत स्वास्थ्य देखभाल कवरेज प्रदान करना। 
    • बजट में किए गए प्रावधानों के शीघ्र क्रियान्वयन के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय शीघ्र ही योजनाएं शुरू करेगा। पंजीकरण कराने से वर्कर्स को लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स के बारे में

  • परिभाषा: गिग वर्कर्स से आशय एक ऐसे व्यक्ति से है, जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के दायरे से बाहर रहते हुए कार्य करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसे कार्य से आय अर्जित करता है।  
    • गिग वर्कर्स को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा गया है:
      • प्लेटफॉर्म गिग वर्कर्स: इसमें ऐसे वर्कर्स शामिल हैं, जो किसी ऑनलाइन सॉफ्टवेयर ऐप्स या डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़कर कार्य करते हैं। जैसे-स्विगी या जोमाटो। 
      • गैर-प्लेटफॉर्म गिग वर्कर्स: इसमें पारंपरिक क्षेत्रकों में काम करने वाले कैजुअल वर्कर्स शामिल हैं। ऐसे वर्कर्स पार्ट-टाइम या फुल-टाइम आधार पर काम करते हैं। इनमें पारंपरिक क्षेत्रकों में कार्यरत ओन-अकाउंट वर्कर्स भी शामिल होते हैं। 
        • ओन अकाउंट वर्कर्स (Own account workers): ये बिना किसी श्रमिक को काम पर रखे छोटे उद्यम चलाते हैं। हालांकि, वे परिवार के सदस्यों की मदद ले सकते हैं, जबकि नियोक्ता श्रमिकों को काम पर रखते हैं।
  • आर्थिक प्रभाव: नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत के गिग कार्यबल के 2024-25 में 1 करोड़ और 2029-30 तक 2.35 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के सामने आने वाली चुनौतियां

  • सामाजिक सुरक्षा का अभाव: इन्हें EPFO या अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत कवर नहीं किया जाता है। 
  • अस्थिर और कम आय: प्लेटफॉर्म द्वारा अनुचित रूप से अत्यधिक कमीशन चार्ज करना, प्लेटफॉर्म द्वारा आई.डी. को मनमाने ढंग से निष्क्रिय करना, रेटिंग के आधार पर अवसरों की उपलब्धता, आदि।
  • शारीरिक और मानसिक तनाव: लंबे समय तक काम करना, वित्तीय तनाव और लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

बजट में अर्थव्यवस्था में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के बढ़ते योगदान को मान्यता दी गई है। इसलिए, उन्हें न्यूनतम मजदूरी, निश्चित कार्य घंटे और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सहित विविध प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है।

गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए शुरू की गई पहलें 

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इसमें गिग एवं प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स के लिए उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा योजनाएं तैयार करने की परिकल्पना की गई है।
  • ई-श्रम पोर्टल: इसे असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है।
  • सर्वेक्षण: घरेलू कामगारों की संख्या और अनुपात का अनुमान लगाने के लिए घरेलू कामगारों पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण किया जाता है। 
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