भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT) का पहला विदेशी कैंपस दुबई में स्थापित होगा | Current Affairs | Vision IAS
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यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के उस विजन के अनुरूप है, जिसमें भारत में उच्चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण और देश में वैश्विक शिक्षण संस्थानों के केंद्रों की स्थापना पर बल दिया गया है।

  • भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT) “डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी” है। इसकी स्थापना 1963 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गई थी। इस संस्था का उद्देश्य भारत के विदेश व्यापार क्षेत्रक के लिए कौशल निर्माण में योगदान देना है।

भारत में ‘उच्चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण’ के बारे में:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में निम्नलिखित दो प्रमुख तरीकों से उच्चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण का उल्लेख किया गया है:
    • भारतीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों (HEIs) द्वारा विदेशों में अपना कैंपस स्थापित करना। जैसे कि IIT मद्रास ने तंज़ानिया में अपना कैंपस शुरू किया है।
    • विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों द्वारा भारत में अपना कैंपस स्थापित करना। जैसे कि ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी ने गुजरात की GIFT सिटी में अपना पहला कैंपस शुरू किया है।

भारत के लिए ‘उच्चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण’ का महत्त्व:

  • शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार होगा: विदेशी शिक्षण संस्थानों के सहयोग से भारत में अनुसंधान, पेटेंट आवेदन और शैक्षिक मानकों में सुधार होगा। साथ ही, फैकल्टी का भी आदान-प्रदान होगा और वित्त-पोषण में भी वृद्धि होगी।
  • विदेशी मुद्रा अर्जित होगी और इसकी बचत होगी: 2022 में लगभग 13 लाख भारतीय विद्यार्थी संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तथा कुछ अन्य देशों में अध्ययन कर रहे थे।
  • भविष्य के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त होगा और रोजगार प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ेंगी: अलग-अलग संस्कृतियों के लोगों से संवाद कौशल बढ़ेगा। साथ ही, विश्व के संस्थानों के सर्टिफिकेट्स होने से विद्यार्थियों को उच्च मांग वाले रोजगार के लिए तैयार किया जा सकेगा।
  • सॉफ्ट पावर: भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन देश का सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ाएगा और कूटनीति को मजबूती प्रदान करेगा।

उच्चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के समक्ष चुनौतियां:

  • जटिल नियम-कानून: विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा भारत में कैंपस शुरू करने के लिए मंजूरी की प्रक्रियाएं काफी जटिल हैं। साथ ही, विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में कैंपस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। ये दोनों चुनौतियां साझेदारी में बाधा उत्पन्न करती हैं। 
    • एक संसदीय समिति की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक किसी भी शीर्ष आइवी लीग संस्थान ने भारत में अपना कैंपस स्थापित नहीं किया है।
  • संस्कृति और भाषा संबंधी बाधाएं: कुछ संस्थानों में अन्य नृजातीय समूहों या संस्कृतियों के साथ शिक्षा के लिए प्रशिक्षण और अंग्रेजी भाषा की दक्षता की कमी है। इससे विदेशी संस्थानों के साथ जुड़ने में समस्या आ सकती है।
  • भारतीय उच्चतर शिक्षण संस्थानों पर प्रभाव: विदेशी उच्चतर शिक्षण संस्थानों के आकर्षक वेतन भारतीय उच्चतर शिक्षण संस्थानों से अच्छी फैकल्टी के पलायन का कारण बन सकता है।
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