के. वीरास्वामी बनाम भारत संघ और अन्य (1991)
हाल ही में एक न्यायाधीश के घर से नकद राशि की बरामदगी के मामले में उपराष्ट्रपति ने के. वीरास्वामी बनाम भारत संघ व अन्य (1991) वाद में दिए गए निर्णय पर पुनर्विचार की आवश्यकता जताई।
‘के. वीरास्वामी बनाम भारत संघ व अन्य’ निर्णय के बारे में:
- इस वाद में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि किसी भी न्यायालय का न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 2 के तहत एक ‘लोक सेवक’ होता है।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा:
- यदि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश अथवा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के विरुद्ध कोई शिकायत दर्ज कराई जाती है, तो FIR दर्ज होने से पूर्व राष्ट्रपति को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श करना अनिवार्य है।
- यदि शिकायत भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के विरुद्ध हो, तो केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के किसी अन्य न्यायाधीश या न्यायाधीशों से परामर्श करना होगा।
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- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
गैर-व्यक्तिगत डेटा (Non-Personal Data)
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार डैशबोर्ड से गैर-व्यक्तिगत व अनाम डेटा (anonymized) को ओपन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफॉर्म पर साझा करना शुरू किया।
- इस डेटा का उपयोग डेटा गवर्नेंस और निवेश के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
गैर-व्यक्तिगत डेटा क्या है?
- ऐसा कोई भी डेटा जो किसी व्यक्ति की विशेषताओं, लक्षणों या पहचान से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी नहीं है, वह गैर-व्यक्तिगत डेटा कहलाता है।
गैर-व्यक्तिगत डेटा के प्रकार:
- सार्वजनिक गैर-व्यक्तिगत डेटा: सरकार द्वारा एकत्रित अनाम डेटा, जैसे – वाहन पंजीकरण डेटा।
- सामुदायिक गैर-व्यक्तिगत डेटा: किसी समुदाय से प्राप्त कच्चा डेटा, जैसे – नगरपालिका डेटा सेट।
- निजी गैर-व्यक्तिगत डेटा: निजी संस्थाओं से प्राप्त डेटा, जैसे – निजी लॉजिस्टिक्स कंपनियों का डेटा।
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Articles Sources
ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट (OSA), 1923
एक यूट्यूबर पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है। इस आरोप के बाद उसके खिलाफ ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 की धारा 3 (जासूसी) और धारा 5 (विदेशी एजेंटों से संपर्क), तथा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 152: इसमें भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 के बारे में:
- उद्देश्य: राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील सूचनाओं की रक्षा करना और जासूसी जैसी गतिविधियों पर रोक लगाना।
- दायरा: यह कानून भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है – चाहे वे देश के भीतर हों या विदेश में। इसमें सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।
- इसमें निम्नलिखित कृत्यों को अपराध माना गया है:
- जासूसी,
- सरकार की गोपनीय जानकारी को बिना अनुमति के साझा करना,
- ऐसी संवेदनशील सूचनाओं को छिपाना, जो देश की सुरक्षा या हितों को खतरे में डाल सकती हैं।
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- ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट (OSA), 1923
- जासूसी
- भारतीय न्याय संहिता
ई-जीरो FIR
केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने नई ई-जीरो FIR पहल की शुरुआत की।
ई-जीरो FIR के बारे में:
- प्रारंभ: इसे दिल्ली में पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया है।
- उद्देश्य: साइबर वित्तीय अपराधों की शिकायतों को दर्ज करना आसान बनाना और उन पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना।
- यदि कोई शिकायतकर्ता राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) या हेल्पलाइन 1930 पर 10 लाख रुपये से अधिक के वित्तीय नुकसान की रिपोर्ट करता है, तो स्वतः रूप से एक "जीरो FIR" दर्ज की जाएगी। यह दिल्ली के ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में रजिस्टर्ड होगी।
- इसके बाद यह FIR संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस थानों को तत्काल भेज दी जाएगी।
- शिकायतकर्ता को 3 दिनों के भीतर अपने नजदीकी साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर इस जीरो FIR को नियमित FIR में परिवर्तित करवाना होगा।
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- I4C
- ई-जीरो FIR
Articles Sources
ऑपरेशन ओलिविया
ऑपरेशन ओलिविया ने ओडिशा के गहिरमाथा तट पर 8 लाख से अधिक ओलिव रिडले कछुओं को बचाया।
ऑपरेशन ओलिविया के बारे में
- प्रारंभ: इसे 1980 के दशक में, भारतीय तटरक्षक बल ने शुरू किया था। यह हर साल नवंबर से मई तक आयोजित किया जाता है।
- यह अभियान गहिरमाथा समुद्र तट, रुशिकुल्या नदी के मुहाने और देवी नदी के मुहाने पर केंद्रित है।
- इन तटीय क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 800,000 से अधिक ओलिव रिडले कछुए सामूहिक रूप से अंडे देने आते हैं, इस परिघटना को अरिबादा कहा जाता है।
ओलिव रिडले कछुओं के बारे में
- इसका वितरण लगभग संपूर्ण उष्णकटिबंधीय समुद्री क्षेत्रों में पाया जाता है। यह मेक्सिको की खाड़ी को छोड़कर लगभग सभी उष्णकटिबंधीय समुद्री तटीय क्षेत्रों में आकर अंडे देते हैं।
- IUCN स्थिति: वल्नरेबल।
- CITES: परिशिष्ट-I में शामिल।
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- ऑपरेशन ओलिविया
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यूथालिया मलक्काना तितली
भारत में पहली बार अरुणाचल प्रदेश राज्य में एक नई तितली प्रजाति (यूथालिया मलक्काना ) पाई गई है।
यूथालिया मलक्काना के बारे में
- यह तितली मुख्य रूप से इंडो-ऑस्ट्रेलियन क्षेत्र में पाई जाती है। इसे विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे कि उत्तरी थाईलैंड, मलय प्रायद्वीप और सुंडा द्वीपों में देखा जाता है।
- इस प्रजाति के पंखों पर एक नीला चमकीला धब्बा होता है। नर तितलियों में यह नीला धब्बा खास तौर पर अगले पंखों (Forewings) पर स्पष्ट दिखाई देता है। मादा तितलियों में ये धब्बे थोड़े बड़े होते हैं।
- पिछले पंखों (Hindwings) पर छोटे-छोटे लाल धब्बे होते हैं।
- यह तितली पर्यावरण के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक मानी जाती है।
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- अरुणाचल प्रदेश
- यूथालिया मलक्काना तितली
- तितली
- यूथालिया मलक्काना