टेक इट डाउन एक्ट बिना सहमति के किसी की निजी तस्वीरें या वीडियो (डीपफेक से निर्मित सहित) ऑनलाइन शेयर करना अपराध बनाता है। साथ ही, प्लेटफॉर्म्स को 48 घंटों के भीतर ऐसे कंटेंट को हटाना होगा।
- सुव्यक्त डीपफेक के पीड़ित अब उन्हें बनाने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकेंगे।
डीपफेक के बारे में
- परिभाषा: यह एक प्रकार का सिंथेटिक मीडिया है, जिसमें वास्तविक डिजिटल मीडिया जैसा कंटेंट (वीडियो, ऑडियो, या चित्र) बनाने के लिए डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है, ताकि वे यथार्थवादी और भ्रामक दिखें। डीपफेक शब्द "डीप लर्निंग" एवं "फेक" (चित्र या वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज़ आदि में हेरफेर करना) को मिलाकर बना है।
- डीप लर्निंग: यह मशीन लर्निंग का एक उपसमूह है, जो मानव मस्तिष्क की जटिल निर्णय लेने की शक्ति का अनुकरण करने के लिए बहुस्तरीय तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग करता है।
डीपफेक से उत्पन्न खतरे
- डीपफेक का इस्तेमाल कंपनी के अधिकारियों का रूप धारण करके, कर्मचारियों को फंड ट्रांसफर करने या संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने के लिए किया जा सकता है।
- गलत सूचना फैलाने के लिए राजनेताओं के फर्जी वीडियो बनाए जाते हैं।
- उदाहरण के लिए- गैबॉन में, राष्ट्रपति के एक डीपफेक वीडियो ने तख्तापलट का संदेह पैदा कर दिया था।
- डीपफेक का प्रसार मीडिया में विश्वास को खत्म करता है और वैध वीडियो कंटेंट की प्रामाणिकता के बारे में संदेह पैदा करता है। इससे जनता का विश्वास कमजोर होता है।
कैसे पता करें कि कोई चीज़ डीपफेक है?
- चेहरे की असंगतताएँ: डीपफेक अक्सर चेहरे के कुछ भावों, लगातार प्रकाश व्यवस्था को बनाए रखने तथा सूक्ष्म हरकतों को दोहराने में संघर्ष करते हैं।
- उदाहरण के लिए- डीपफेक वीडियो में पलकें स्वाभाविक रूप से नहीं झपकती हैं।
- अप्राकृतिक हरकतें: कभी-कभी अजीब हरकतें दिखाई देती हैं। जैसे- झटके से सिर घुमाना।
- विकृतियां: ऐसे कंटेंट में विशेष रूप से तेज गति के दौरान अक्सर धुंधलापन दिखाई देता है।
डीपफेक से निपटने के लिए शुरू की गई पहलें
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