सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में शेट्टी कमीशन की सिफारिश के आधार पर 3 वर्ष की लॉ प्रैक्टिस को समाप्त कर दिया था।
- 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधीनस्थ न्यायिक सेवा परीक्षा में बैठने के लिए कम-से-कम 3 वर्ष की लॉ प्रैक्टिस अनिवार्य है।
- कोर्ट ने यह भी कहा था कि वकील के रूप में अनुभव होना जरूरी है, ताकि न्यायाधीश अपनी जिम्मेदारियां और कार्यों को प्रभावी ढंग से निभा सकें।
इस निर्णय के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- न्यायिक सेवा के प्रवेश स्तर के उम्मीदवारों के लिए अदालत में मामलों की सुनवाई करने से पहले एक साल का अनिवार्य प्रशिक्षण होगा।
- लॉ क्लर्क के रूप में प्रैक्टिस को भी 3 वर्ष की लॉ प्रैक्टिस में गिना जाएगा।
- पहले से अधिसूचित या जारी भर्ती प्रक्रियाएं मौजूदा नियम के तहत ही संपन्न होंगी।
अधीनस्थ न्यायालयों के लिए संवैधानिक फ्रेमवर्क
- संविधान के अनुच्छेद 234 के अनुसार
- जिला न्यायाधीशों को छोड़कर अन्य व्यक्तियों की किसी राज्य की अधीनस्थ न्यायिक सेवा में नियुक्ति उस राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
- नियुक्ति के नियम राज्यपाल द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग और संबंधित हाई कोर्ट से परामर्श करके बनाए जाएंगे।
- अनुच्छेद 235 के अनुसार, जिला न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण राज्य के हाई कोर्ट का होता है।