यह विधेयक लाइलाज बीमारी से पीड़ित वयस्कों को जीवन त्यागने हेतु मेडिकेशन लेने की अनुमति देता है। यूरोप में ऐसी मांगें लगातार बढ़ रही हैं कि लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन समाप्त करने का अधिकार मिले।
- जीवन त्यागने हेतु मेडिकेशन पर प्रस्तावित उपाय विशिष्ट परिस्थितियों में असिस्टेड डाइंग के लिए एक फ्रेमवर्क प्रस्तुत करता है।
असिस्टेड डाइंग क्या है?
- असिस्टेड डाइंग दो प्रकार की हो सकती हैं: इच्छामृत्यु या असिस्टेड सुसाइड।
- इच्छामृत्यु (Euthanasia/ यूथेनेशिया): इसके तहत चिकित्सक रोगी को किसी लाइलाज बीमारी की पीड़ा से निजात दिलाने के लिए रोगी के जीवन को समाप्त कर देता है। यदि यह कार्य रोगी की सहमति से किया जाए तो इसे स्वैच्छिक इच्छामृत्यु (voluntary euthanasia) कहा जाता है।
- एक्टिव यूथेनेशिया: किसी चिकित्सा पेशेवर की किसी व्यक्ति के जीवन को समाप्त करने के लिए सक्रिय कार्रवाई शामिल होती है। इसमें घातक पदार्थ या बाह्य हस्तक्षेप (जैसे कि रोगी को जानलेवा इंजेक्शन) देना शामिल है।
- पैसिव यूथेनेशिया: इसमें जीवन रक्षक उपचार को रोककर रोगी के जीवन का अंत कर दिया जाता है। (जैसे वेंटिलेटर बंद कर देना, जीवन रक्षक दवा न देना आदि)।
- असिस्टेड सुसाइड: इसमें डॉक्टर प्राण घातक दवा प्रेस्क्राइब करता है, जिसे रोगी स्वयं अपनी इच्छा से खा कर अपने जीवन का अंत कर लेता है।
- इच्छामृत्यु (Euthanasia/ यूथेनेशिया): इसके तहत चिकित्सक रोगी को किसी लाइलाज बीमारी की पीड़ा से निजात दिलाने के लिए रोगी के जीवन को समाप्त कर देता है। यदि यह कार्य रोगी की सहमति से किया जाए तो इसे स्वैच्छिक इच्छामृत्यु (voluntary euthanasia) कहा जाता है।
असिस्टेड डाइंग से संबंधित नैतिक मुद्दे
- दबाव का खतरा: लाइलाज बीमारी न होने पर भी बुजुर्ग या दिव्यांग लोगों पर यह कदम उठाने का दबाव डाला जा सकता है।
- गलत उपयोग की आशंका: उदाहरण के लिए- नीदरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों में विशेष रूप से मानसिक रोगियों के मामले में ऐसी जांच की गई है।
- जीवन की सार्थकता: मानव जीवन अमूल्य है, इसे समाप्त करना नैतिक रूप से गलत माना जाता है।
- मेडिकल एथिक्स के खिलाफ: डॉक्टर और नर्स का कर्तव्य है रोगी की देखभाल करना और जीवन बचाना, न कि उसके जीवन का अंत करना।
भारत में इच्छामृत्यु/ जीवन को समाप्त करने के अधिकार से संबंधित कानूनी स्थिति:
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