प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने ‘प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950’ के तहत एक स्वतंत्रता सेनानी की विरासत का सम्मान करने के संबंध में दायर एक याचिका खारिज कर दी।
प्रतीक अधिनियम (Emblems Act) के बारे में:
- इस अधिनियम का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, राजकीय प्रतीक, राष्ट्रपति या राज्यपाल की मुहर, राष्ट्रीय व्यक्तित्वों (जैसे- महात्मा गांधी) के नाम या सचित्र प्रस्तुति के अनुचित या व्यावसायिक उपयोग को रोकना है।
- प्रतीक की परिभाषा: “प्रतीक” का अर्थ है ऐसा कोई भी प्रतीक, मुहर, ध्वज, चिह्न, कोट-ऑफ-आर्म्स (राज्य चिह्न) या चित्रात्मक प्रस्तुति, जो इस अधिनियम में उल्लेखित हो।
- लागू होना: यह अधिनियम पूरे भारत में लागू है। साथ ही, यह भारत के बाहर रहने वाले भारत के नागरिकों पर भी लागू होता है।
- दंड: इस कानून का उल्लंघन करने पर 500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA), 2010
केंद्र सरकार ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA), 2010 में संशोधन किया है। नए संशोधन के अनुसार, यदि प्रकाशन से जुड़ी गतिविधियों में शामिल गैर-सरकारी संगठन (NGOs) विदेशी अंशदान प्राप्त करते हैं, तो वे:
- कोई भी न्यूज़लेटर प्रकाशित नहीं कर सकेंगे, और
- भारतीय समाचार-पत्र पंजीयक (Registrar of Newspapers for India) से यह प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य होगा कि वे कोई समाचार कंटेंट प्रसारित नहीं करते।
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के बारे में
- नोडल मंत्रालय: केंद्रीय गृह मंत्रालय
- पंजीकरण: भारत में किसी भी संगठन को विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिए प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य है। बिना पंजीकरण के विदेशी अंशदान या फंड लेना गैरकानूनी है।
- किन पर लागू होता है: FCRA, 2010 कानून भारत में किसी भी व्यक्ति द्वारा विदेशी अंशदान के स्वीकार और उपयोग को शासित करता है। व्यक्ति की परिभाषा में निम्नलिखित शामिल हैं:
- कोई भी व्यक्ति (individual)
- कोई भी हिंदू अविभाजित परिवार (HUF)
- कोई संघ/संस्था (association)
- कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत पंजीकृत कंपनी।
- हालांकि, यदि कोई अनिवासी भारतीय (NRI) अपनी व्यक्तिगत बचत से, सामान्य बैंकिंग माध्यमों से अंशदान देता है, तो उसे विदेशी अंशदान नहीं माना जाता है।
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ज़ंगेज़ुर कॉरिडोर
हाल ही में ज़ंगेज़ुर कॉरिडोर सुर्ख़ियों में रहा। यह कॉरिडोर पश्चिम और मध्य एशिया में भारत के रणनीतिक हितों को चुनौती दे सकता है।
ज़ंगेज़ुर कॉरिडोर के बारे में
- अवस्थिति: यह 43 किलोमीटर लंबा एक प्रस्तावित परिवहन मार्ग है। यह आर्मेनिया के स्यूनिक प्रांत से होकर गुजरेगा।
- उद्देश्य: इस कॉरिडोर का लक्ष्य कैस्पियन सागर में स्थित अजरबैजान के बाकू बंदरगाह को नखचिवन स्वायत्त क्षेत्र (Nakhchivan Autonomous Region) से जोड़ना और आगे तुर्की तक कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
- नखचिवन स्वायत्त क्षेत्र अज़रबैजान का एक पश्चिमी एन्क्लेव है। आर्मेनिया की जमीन नखचिवन को अज़रबैजान से अलग करती है।
- भारत की चिंताएं:
- यह कॉरिडोर ईरान के चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) में भारत द्वारा किए गए निवेशों को कम प्रतिस्पर्धी बना सकता है।
- इस क्षेत्र में भारत की पहुंच और प्रभाव में कमी आ सकती है, विशेषकर पश्चिम और मध्य एशिया में।

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ग्रीन लाइन
इजरायल-गाज़ा युद्ध के चलते "ग्रीन लाइन" से जुड़ा मुद्दा एक बार फिर सुर्ख़ियों में है।

ग्रीन लाइन के बारे में:
- "ग्रीन लाइन" 1949 में निर्धारित युद्धविराम सीमा है। यह इजराइल और वेस्ट बैंक के बीच की सीमांकन रेखा को दर्शाती है।
- यह रेखा 1949 के युद्धविराम समझौतों में तय की गई थी। ये समझौते इजरायल और अरब सेनाओं के बीच युद्ध को औपचारिक रूप से समाप्त करने के लिए हस्ताक्षरित किए गए थे।
- ये रेखाएं गाजा पट्टी (मिस्र द्वारा अधिकृत) तथा पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक (जॉर्डन द्वारा अधिकृत) की सीमाओं का निर्धारण करती हैं।
- हालांकि, अरब देशों ने इजराइल को राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी, जिसके कारण इसकी सीमाएं औपचारिक रूप से तय नहीं हो सकीं।
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राष्ट्रीय कौशल विकास निगम
NSDC के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के बारे में:
- स्थापना: 2008 में; कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत एक नॉट-फॉर प्रॉफिट पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में।
- कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 अब कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 है।
- उद्देश्य:
- प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए कौशल विकास इकोसिस्टम को सशक्त बनाना।
- स्किल इंडिया मिशन का ज्ञान साझेदार बनकर प्रभावी व्यावसायिक प्रशिक्षण पहलों को शुरू करना।
- भारत के युवाओं को सशक्त बनाना।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: यह संगठन केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के तहत एक विशिष्ट सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के रूप में संचालित होता है।
- इसकी 49% शेयर पूंजी सरकार के पास और 51% निजी क्षेत्रक के पास है।
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- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम
निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट
सरकार ने अग्रिम प्राधिकरण (AA) धारकों, निर्यातोन्मुख इकाइयों (EOUs) और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) की इकाइयों द्वारा किए गए निर्यातों के लिए RoDTEP योजना को फिर से लागू कर दिया है।
RoDTEP योजना के बारे में:
- प्रारंभ: 2021 में।
- मंत्रालय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय।
- इसने मौजूदा MEIS (भारत से वस्तु निर्यात योजना) का स्थान लिया है।
- उद्देश्य: निर्यातकों को किसी भी अंतर्निहित शुल्क, कर या लेवी की प्रतिपूर्ति करना, जिसकी किसी अन्य मौजूदा योजना के तहत प्रतिपूर्ति नहीं की जाती है।
- इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।
- यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मानदंडों के अनुरूप है।
- ये योजना यह सुनिश्चित करती है कि निर्यातित उत्पादों पर केन्द्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर लगाए गए कर, शुल्क और लेवी वापस कर दिए जाएं।
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- RoDTEP
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कंचनजंगा पर्वत
सिक्किम के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से मांग की है कि कंचनजंगा पर्वत पर क्लाइम्बिंग पर रोक लगाई जाए।
- यह पर्वत शिखर स्थानीय लोगों के लिए पवित्र माना जाता है, उनका मानना है कि उनके संरक्षक देवता जोंगा वहां निवास करते हैं।
कंचनजंगा पर्वत के बारे में
- अवस्थिति: यह पूर्वी हिमालय क्षेत्र में स्थित राज्य सिक्किम में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है।
- ऊंचाई: इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है, यह दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है (एवरेस्ट और K-2 के बाद)।
- यहां कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) स्थित है।
- नदियां: तमूर नदी (पश्चिम में), लोनाक नदी (उत्तर में), तीस्ता नदी (पूर्व में)।
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डंक रहित मधुमक्खियां
नगालैंड में पाई गई दो देशी बिना डंक वाली मधुमक्खियों की किस्में (Etragonula iridipennis और Lepidotrigona arcifera) किसानों के लिए फायदेमंद पाई गई हैं।
डंक रहित मधुमक्खियों के बारे में
- वितरण: ये भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका आदि में पायी जाती है।
- शारीरिक विशेषताएं
- आकार: ये मधुमक्खियां आकार में छोटी होती हैं, जबकि हनी-बी आकार में बड़ी होती हैं।
- रंग: इनका रंग आमतौर पर काला होता है, जबकि हनी-बी हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिन पर सुनहरे या पीले रंग की पट्टियां होती हैं।
- इनका डंक अविकसित (vestigial) होता है, इसलिए ये डंक नहीं मार सकती हैं।
- शहद उत्पादन: हालांकि कुल मिलाकर ये कम शहद बनाती हैं, लेकिन प्रति हनी-बी की तुलना में ये अधिक शहद बनाती हैं।
- व्यवहार: रानी मधुमक्खी किसी दूसरे छत्ते के केवल एक नर मधुमक्खी (drone) से मिलन करती है। इसके बाद, श्रमिक मधुमक्खियां (worker bees) और रानी मधुमक्खी मिलकर नया छत्ता बनाती हैं।
- छत्ते की संरचना: छत्ते में छोटे-छोटे षट्कोणीय (hexagonal) सेल्स होते हैं जो सर्पिल या अनियमित आकार के बने होते हैं।
- महत्व: डंक रहित मधुमक्खियां न केवल फसल परागण को बढ़ाती हैं बल्कि उच्च गुणवत्ता वाला औषधीय शहद भी बनाती हैं।
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डुगोंग
पहले यह समुद्री जीव भारतीय जलक्षेत्र में बहुतायत में पाया जाता था, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर लगभग 200 रह गई है।
डुगोंग (समुद्री गाय) के बारे में
- विशेषताएं
- यह एकमात्र समुद्री शाकाहारी स्तनधारी जीव है, जो आहार के लिए समुद्री घास (Seagrass) पर निर्भर रहता है।
- इसका विकास धीमा होता है और यह लंबे समय तक जीवित रह सकता है।
- वितरण: दुनिया में सबसे ज्यादा डुगोंग ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं।
- भारत में यह पाक की खाड़ी (सबसे अधिक), मन्नार की खाड़ी , कच्छ की खाड़ी , तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं।
- खतरा: पर्यावास की हानि
- IUCN स्थिति: वल्नरेबल
- संरक्षण हेतु उपाय
- ये CMS कन्वेंशन के परिशिष्ट II में सूचीबद्ध हैं
- भारत UNEP/CMS डुगोंग समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्र है।
- ये वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध हैं।
- यह भारत के एनडेंजर्ड प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम का हिस्सा है।
- तमिलनाडु के पाक की खाड़ी में पहला डुगोंग संरक्षण रिजर्व स्थापित किया गया है।
- ये CMS कन्वेंशन के परिशिष्ट II में सूचीबद्ध हैं
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