कश्मीर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से भारत की पहली जीन-एडिटेड भेड़ तैयार की | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

कश्मीर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से भारत की पहली जीन-एडिटेड भेड़ तैयार की

Posted 28 May 2025

12 min read

CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग करके भारत में पहली जीन-एडिटेड भेड़ का जन्म हुआ है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही चावल (धान) की पहली जीन-एडिटेड किस्म जारी की गई थी। 

  • CRISPR-Cas9 तकनीक वास्तव में DNA स्ट्रैंड्स के लिए कट-एंड-पेस्ट विधि पर कार्य करती है।
    • CRISPR-Cas9 तकनीक एक गाइड आरएनए (gRNA) का उपयोग एक विशिष्ट डीएनए सीक्वेंस को टारगेट करने के लिए करती है, और Cas9 प्रोटीन तब उस स्थान पर DNA के दोनों स्ट्रैंड्स को काटकर (एक एंडोन्यूक्लीज के रूप में) एक डबल स्ट्रैंड्स ब्रेक बनाता है।
  • 2020 का रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार इसी खोज के लिए प्रदान किया गया था।

शोध के बारे में

  • एक मेमने में मायोस्टेटिन जीन को एडिट किया गया, जिससे मांसपेशियों की वृद्धि में 30% की बढ़ोतरी हुई। यह गुण कुछ यूरोपीय नस्ल की भेड़ों (जैसे कि टेक्सेल) में पाया जाता है, लेकिन भारतीय नस्ल के भेड़ों में नहीं पाया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में किसी बाहरी DNA को प्रवेश नहीं कराया गया। इस तरह यह कोई ट्रांसजेनिक जानवर नहीं है।
    • इस प्रकार, यह तकनीक पूरी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाती है। साथ ही, इससे नियम का उल्लंघन भी नहीं होता है तथा यह उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी साबित होती है।
  • इससे पहले, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) ने एक जीन-एडिटेड भैंस का भ्रूण विकसित किया था।

जानवरों में जीन एडिटिंग से संबंधित नैतिक चिंताएं

  • बुद्धिमत्ता, लिंग या रूप जैसे लक्षणों को एडिट करने से "डिजाइनर बेबी" के निर्माण का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इससे अमीर एवं अन्य लोगों के बीच असमानता और बढ़ सकती है।
  • यह यूजीनिक्स यानी वांछित गुणों वाली संतान को जन्म देने को प्राथमिकता देने का खतरा उत्पन्न कर सकता है। जाहिर है इससे भेदभाव को और बढ़ावा मिलेगा।
  • जीन एडिटिंग से "ऑफ-टारगेट" प्रभाव और "मोज़ेइकिज़्म" (Mosaicism) को बढ़ावा मिल सकता है।
    • ऑफ-टारगेट" प्रभाव से आशय है अवांछित आनुवंशिक संशोधन। 
    • मोज़ेइकिज़्म ऐसी स्थिति है, जिसमें एक ही व्यक्ति की कोशिकाओं में अलग-अलग यानी मिश्रित आनुवंशिक संरचना होती है।
  • इसमें नए रोगों या पारिस्थितिकी-तंत्र को नुकसान पहुंचाने जैसे अज्ञात खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
  • जानवरों के कल्याण से जुड़ी चिंताएं भी उतपन्न होती है, क्योंकि जीन-एडिटेड जानवरों को तैयार करने में अक्सर कुछ जानवरों की सर्जरी की जाती है और कुछ जानवरों का बलिदान भी देना पड़ता है।

गौरतलब है कि यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय बायो-एथिक्स समिति जीनोम एडिटिंग के नैतिक प्रभावों की पड़ताल कर रही है।

  • Tags :
  • CRISPR-Cas9
  • जीन-एडिटेड किस्म
  • DNA स्ट्रैंड्स
  • NDRI
Watch News Today
Subscribe for Premium Features