प्रधान मंत्री ने इस पर भी प्रकाश डाला कि पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवाद का प्रयोग अब केवल एक प्रॉक्सी वॉर नहीं बल्कि भारत के साथ एक सीधा युद्ध है।
- पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अशांति उत्पन्न करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों को वित्त-पोषण, प्रशिक्षण और हथियार देकर भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर का उपयोग करता है।
प्रॉक्सी वॉर क्या है?
- यह ऐसा संघर्ष होता है, जिसमें कोई देश स्वयं सीधे तौर पर शामिल नहीं होता, लेकिन गैर-राज्य अभिकर्ताओं (जैसे आतंकी संगठन, जासूस आदि) को समर्थन देकर दूसरे देश को नुकसान पहुंचाता है।
- यह हाइब्रिड वॉरफेयर का एक उप-समूह है, जिसमें पारंपरिक सैन्य रणनीति और अपरंपरागत तरीकों का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अक्सर साइबर वॉरफेयर, आतंकवाद (प्रॉक्सी वॉर) आदि शामिल होते हैं।
- प्रॉक्सी वॉर के साधन: इसमें गैर-राज्य अभिकर्ताओं को प्रशिक्षण और सैन्य सहायता देना; आर्थिक सहायता प्रदान करना; खुफिया जानकारी साझा करना; सोशल मीडिया का उपयोग करना (जैसे, गलत सूचना प्रसार); साइबर टूल्स आदि शामिल हैं।
- भारत पर प्रभाव:
- संप्रभुता को चुनौती: उदाहरण के लिए- पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन प्रदान करना।
- हिंसा और जान-माल की हानि: उदाहरण के लिए- पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवादी समूहों को चीन द्वारा अप्रत्यक्ष समर्थन मिलने के कारण बड़ी संख्या में आम नागरिक और सैन्य कर्मी हताहत हुए हैं।
- आर्थिक बोझ: इसके चलते सुरक्षा पर अधिक व्यय करना पड़ता है, जिससे सामाजिक अवसंरचना पर व्यय हेतु धन की उपलब्धता कम हो जाती है।
प्रॉक्सी वॉर के पीछे के कारण
- अपनी भागीदारी का खंडन करना: इसमें प्रत्यक्ष दोषारोपण और अंतर्राष्ट्रीय परिणामों से बचना शामिल है।
- छद्म रणनीतियां: खुफिया जानकारी एकत्र करना और प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना दूर से ही किसी देश में घटनाओं को अंजाम देना। उदाहरण के लिए- स्लीपर सेल (OGW) और हाल ही में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का इस्तेमाल करने जैसे मामले सामने आए हैं।
- कम लागत व ज्यादा नुकसान: इसमें अपने सैनिकों की जान का कम नुकसान और आतंकियों पर कम खर्च करके दुश्मन देश को ज्यादा नुकसान पहुंचाना और उसकी युद्ध लागत को बढ़ाना शामिल है। उदाहरण के लिए- भारत के खिलाफ पाकिस्तान की "थाउसेंड कट्स" की रणनीति।
भारत द्वारा उठाए गए कदम
|